रायपुर में वन विभाग ने नंदनवन चिड़ियाघर में चार तेंदुए और एक लकड़बग्घा को 8 साल से नजरबंद करके रखा गया है। विभाग के ही रिकॉर्ड के मुताबिक चारों अपनी औसत उम्र (12 से 17 साल) पार कर चुके हैं। इनकी उम्र 25, 18, 15 और 12 साल है। साफ है कि अफसरों के गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते ये बेजुबान अपनी आधी उम्र कैद में गुजर चुके हैं। इनकी सेहत पर भी विभाग मौन है। भास्कर ने 1 मई को छत्तीसगढ़ वन विभाग के इस क्रूरता को उजागर किया, जिसके बाद महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। शीर्ष अधिकारियों ने जंगल सफारी प्रबंधक को फटकार लगाई और हफ्तेभर में शिफ्टिंग कर रिपोर्ट मांगी है। क्योंकि कैद में रखे गए चार तेंदुए और एक लकड़बग्घा जंगल सफारी की संपत्ति हैं। उधर, सफारी में बाड़े के एक्सटेंशन का काम शुरू हो चुका है। बहिष्कार करें पीपल फॉर एनिमल रायपुर एवं वाटिका एनिमल सेंचुरी की संचालिका कस्तूरी बल्लाल, जैन श्रीसंघ शंकर नगर के संरक्षक प्रेम चंद लूनावत, पशुप्रेमी संकल्प गायधानी ने कहा कि ऐसे सफारी का बहिष्कार करें, जहां वन्यजीवों पर जुल्म हो रहा है। वन्यजीवों को मरने छोड़ दिया जा रहा है। वहीं, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट (जबलपुर) विवेक शर्मा कहते हैं- तेंदुए की औसत उम्र 14-17 साल होती है। कैद में ही उम्र निकल गई। इन्हें जंगल में छोड़ दें, ताकि ये जीवनचक्र पूरा कर सकें।