केवल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और विश्वविद्यालयों की स्थापना से बात नहीं बनेगी, जीवन मूल्यों की जड़ों को मजबूत करना आवश्यक है। यह कहना था विधानसभा अध्यक्ष प्रो वासुदेव देवनानी का। वे अपैक्स विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित और आईसीएसएसआर की ओर से प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार “नई शिक्षा नीति : अंगीकरण एवं क्रियान्वयन ” के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
प्रो देवनानी ने कहा कि नई शिक्षा नीति सर्वसम्मति से लागू की गई नीति है, जो विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास पर जोर देती है। उन्होंने युवा पीढ़ी का आह्नान करते हुए कहा कि युग की बातों को देशांतर और देश की बातों को युगांतर बनाएं। उन्होंने शोध की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हमें मौलिक शोध को बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच के साथ बहुविषयक बने और विद्यार्थियों को भविष्य निर्माण के लिए अनेक विकल्प उपलब्ध कराएं। समारोह की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय घुमन्तु कार्य प्रमुख अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य दुर्गादास ने कहा कि भारत मौलिक वैज्ञानिक खोजों के रूप में पहले ही समुदाय को अनेक उपहार दे चुका है, इसमें शुन्य का अविष्कार , खगोलीय दूरियों की सही गणना और चन्द्रमा के बारे में ज्ञान भी शामिल है। इन्होने कहा कि युवा पीढ़ी हमारी गौरवशाली परंपरा को जाने और इसका उपयोग कर नए अविष्कार विश्व को दें। भारत को पुनः विश्वगुरु के पद पर स्थापित करने का दायित्व युवा पीढ़ी के कन्धों पर हैं। पुरातन मूल्य ज्ञान की आधारशिला रखते हैं।
इसी सत्र में मुख्या वक्ता के रूप में बोलते हुए महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के पूर्व कुलपति प्रो संजीव शर्मा ने नई शिक्षा नीति के मूल तत्वों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नीति निर्माण के साथ साथ इसका क्रियावयन भी आवश्यक है। नई शिक्षा के बहुविकल्प उपलब्ध कराती है और विश्वविद्यालयों को शोधपरक वातावरण निर्माण के लिए प्रेरित करती है। राष्ट्रीय सेमिनार के पहले दिन उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त दो अन्य तकनीकी सत्रों में केंद्रीय हिंदी संसथान की पूर्व निदेशक प्रो बीना शर्मा, एन सी टी ई के उतरषेत्रीय समिति के पूर्वाध्यक्ष प्रो बी. एल. भाटिया, केंद्रीय विश्विद्यालय हरयाणा के डॉ. दिनेश चहल और चौधरी चरण सिंह विश्वविध्यलय, मेरठ के प्रो वाचस्पति मिश्रा सहित अनेक विद्वजनो ने शोधार्थियों और विद्यार्थियों को सम्भोधित किया।
विश्विद्यालय के चेयरपर्सन डॉ. रवि जूनीवाल ने राष्ट्रीय सेमिनार के उदेश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, विभिन्न सत्रों के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं और कियान्वयन के बारे में गहन चर्चा की जाएगी। सभी हितधारकों को इससे जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जिससे नई दृष्टि प्राप्त की जा सके। अपेक्स विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन डॉ. रवि जूनीवाल और कुलपति प्रो. सोमदेव सतांशु ने सभी शिक्षाविदों को स्मृति चिह्न प्रदान कर अभिनन्दन किया।