सरकार लोगों को भूखंडों के पट्टे आसानी से उपलब्ध कराने के लिए शहरी समस्या समाधान शिविरों का आयोजन कर रही है, ताकि जनता को समय पर राहत मिल सके। लेकिन राजधानी के नगर निगम में हालात इससे बिल्कुल उलट हैं। अधिकारी पट्टे जारी करने की बजाय फाइलों में आपत्तियां लगाकर उन्हें लौटा रहे हैं, जिससे हजारों आवेदक महीनों से चक्कर लगा रहे हैं। निगम के 13 जोन में पिछले एक वर्ष में 6,541 आवेदनों में से सिर्फ 1,012 पट्टे ही जारी किए गए, जबकि बाकी 5,529 फाइलें आपत्ति लगाकर वापस कर दी गईं। कई मामलों में फाइलों पर चर्चा कर सीधे रिजेक्ट कर दिया गया। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि करीब 2,023 फाइलें पूर्व महापौर (ग्रेटर+हेरिटेज) के लॉगिन में अटकी हुई हैं। उनका कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो गया, लेकिन उन्होंने ये फाइलें आज तक वापस नहीं लौटाईं। इन फाइलों के अटके होने से अब पट्टे जारी नहीं हो पा रहे हैं और आवेदक जोन ऑफिसों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। तीन साल बाद भी नहीं मिला पट्टा टोंक रोड निवासी सुमंगला जैन ने तीन साल पहले ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान में मालवीय नगर जोन में पट्टे का आवेदन किया था। मकान नंबर 66, दयानंद कॉलोनी के पूरे दस्तावेज जमा करवा दिए। अधिकारी दस्तावेज पूरे मानकर फीस जमा कराने का पत्र जारी कर चुके थे। जैन ने 28 जुलाई 2022 को फीस भी जमा करा दी। अधिकारियों ने बताया कि पट्टा बन चुका है, पर आज तक जारी नहीं हुआ। जैन लगातार जोन ऑफिस के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल रहा। मुख्यालय से सिर्फ 29 पट्टे जारी
पट्टों के लिए सबसे अधिक आवेदन निगम मुख्यालय में आए। पट्टे: 29 पेंडिंग: 931 जहां 1,037 आवेदनों में से सिर्फ 101 पट्टे जारी हुए। झोटवाड़ा जोन में 717 आवेदन आए, लेकिन पट्टे सिर्फ 71 लोगों को मिले। नगर निगम का पक्ष
“सभी जोन उपायुक्तों को पेंडिंग पट्टे जारी करने के निर्देश दे दिए हैं। दस्तावेज पूरा होने पर उपायुक्त को फाइल प्रशासक को भेजनी होगी। वहीं से पट्टों को अंतिम मंजूरी दी जाएगी।”
-डॉ. गौरव सैनी, आयुक्त, नगर निगम


