नरसिंहपुर में पुलिस और मत्स्य विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली की बड़ी तस्करी का भंडाफोड़ किया है। देर रात की गई इस कार्रवाई में लगभग 3 टन मछली जब्त की गई, जिसे नागपुर से नर्मदापुरम ले जाया जा रहा था। स्टेशनगंज थाना पुलिस ने शनिवार देर रात यह कार्रवाई की। जब्त की गई लगभग 3 टन प्रतिबंधित थाईलैंड मांगुर मछली दो पिकअप वाहनों में नागपुर से नर्मदापुरम जिले के बनखेड़ी क्षेत्र ले जाई जा रही थी। पुलिस ने मौके से नागपुर निवासी सतीश परिहार और सतीश गोंड सहित एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में लिया है। मत्स्योद्योग सहायक संचालक बबीता चौरसिया ने बताया कि रात करीब 11 बजे सिंहपुर गांव स्थित पेट्रोल पंप के पास वाहनों की जांच की गई। एमएच 49 बीजेड 2008 और एमएच 49 बीजेड 5655 नंबर के इन वाहनों में भारी मात्रा में थाई मांगुर मछली भरी मिली। वाहन चालक मछलियों के परिवहन संबंधी आवश्यक अनुमति और दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए। इसके बाद मत्स्य विभाग और पुलिस टीम ने संयुक्त रूप से मछली जब्त कर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। उल्लेखनीय है कि थाई मांगुर मछली पर पर्यावरण और जैविक जोखिमों के कारण केंद्र सरकार ने इसके पालन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इस मामले में आगे की जांच जारी है। भारत में थाई मागुर की खेती पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है?
भारत में थाई मागुर नामक मछली के पालन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 2000 में प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसा मुख्यतः इस मांसाहारी मछली द्वारा जलीय आवास में अन्य मछलियों के लिए उत्पन्न खतरे के कारण किया गया था। शोध के अनुसार, थाई मागुर भारत की देशी मछली प्रजातियों में 70 प्रतिशत कमी के लिए ज़िम्मेदार है, जिसका जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, मछुआरे इन्हें पालक के साथ सड़ा हुआ मांस खिलाते हैं, जिससे पानी प्रदूषित होता है और जलाशय का पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाता है। महाराष्ट्र जैसे कई भारतीय राज्यों में, मछलियों को अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में पाला जाता है, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खतरा होता है। परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने थाई मागुर की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इससे लोगों और पर्यावरण को अतिरिक्त खतरा हो रहा था।


