एक्ट्रेस शिखा मल्होत्रा की बॉलीवुड में शुरुआत साल 2016 में शाहरुख खान स्टारर फिल्म फैन से हुई थी, जिसमें उन्होंने एक पत्रकार की भूमिका निभाई थी। इसके बाद, साल 2017 में वह तापसी पन्नू की फिल्म रनिंग शादी में भी नजर आईं। दैनिक भास्कर से बातचीत में शिखा ने अपनी चुनौतियों के बारे में बात की। नर्सिंग से एक्टिंग तक का आपका सफर कैसा रहा? मेरी मां नर्सिंग में थीं, इसलिए मुझे लगता है कि मैं उनके पेट से ही सेवा-भाव लेकर आई हूं। मेरा भी सपना था कि मैं नर्सिंग करूं। लेकिन 3 साल की उम्र से ही मेरी रुचि कला की तरफ बढ़ गई थी और मैंने कम उम्र से ही कथक, लिखना-बोलना और एक्टिंग करना शुरू कर दिया। बाद में मैंने नर्सिंग में डिग्री हासिल की और हॉस्पिटल में काम करना शुरू किया। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मुझे लगा कि मेरी जिंदगी सिर्फ यूनिफॉर्म तक सीमित रह जाएगी। तब मैंने अपने माता-पिता से अनुमति ली और मुंबई जाकर एक्टिंग को अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। क्या नर्सिंग ने आपको एक्टिंग में मदद की, जैसे कोई दर्द भरे इमोशन जिन्हें आपने अपनी जिंदगी में बहुत पहले ही अनुभव किया होगा? हां, बिल्कुल। नर्सिंग आपको जिंदगी और मौत का सामना करवा देती है। मैंने अपनी नौकरी के दौरान बहुत कुछ देखा और अनुभव किया। जब आपका शरीर आपका साथ नहीं देता, तो समझो कि जिंदगी में कुछ भी स्थायी नहीं है। एक्टिंग में जिन तरह के इमोशन चाहिए होते हैं, उनसे मैं पहले ही दो-चार हो चुकी थी। यही अनुभव मुझे एक्टिंग में बहुत मदद देता है। बैरी जॉन से बड़े-बड़े सुपरस्टार्स ने एक्टिंग सीखी, आपने भी उनसे एक्टिंग के गुण सीखे। अनुभव कैसा रहा? अनुभव बेहद खास रहा। बैरी जॉन ने शाहरुख खान, मनोज बाजपेयी जैसे सुपरस्टार्स को एक्टिंग सिखाई है। मेरे बैच में 20 स्टूडेंट्स थे और मैं अपने बैच की टॉपर थी। कई लोग ऐसे भी हैं जो एक्टिंग में आगे न बढ़कर अब नौकरी कर रहे हैं, लेकिन मैंने एक्टिंग को ही अपना करियर बनाया। बेरी जॉन हमें शाहरुख खान की कहानियां सुनाते और समझाते थे कि चमक-दमक से हटकर मेहनत करो—यही उनका सबसे बड़ा लेसन था। मुझे पता था कि इस क्राफ्ट को सीखने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकती हूं, इसलिए मैं लगातार आगे बढ़ती रही। फिल्म ‘फैन’ में शाहरुख खान के साथ काम करने का एक्सपीरियंस कैसा रहा? क्या आप उनसे पर्सनली भी मिलीं? मुझे अच्छे से याद है कि यशराज स्टूडियो में मुझे एक किरदार के ऑडिशन के लिए बुलाया गया था। फिल्म में रिपोर्टर का रोल था जिसमें कोई ग्लैमर नहीं था। मैं सिलेक्ट हो गई, लेकिन मुझे तब तक नहीं पता था कि यह शाहरुख खान की फिल्म है। अगले दिन जब मैं यशराज पहुंची, तो स्टूडियो के अंदर शाहरुख खान को सामने खड़ा देखकर समझ आया। जब मेरा सीन शूट हो रहा था तो एक AD ने बताया कि शाहरुख खान मेरी एक्टिंग मॉनिटर कर रहे हैं। मैं बेहद खुश हुई। शॉट कट हुआ तो शाहरुख खान सामने आए और बोले “इतने सारे डायलॉग्स एक साथ कैसे बोल लेती हो तुम? मैं तो अब तक नहीं बोल पाता।” यह सुनकर मुझे लगा जैसे मुंबई ने मुझे आशीर्वाद दिया हो। बाद में उन्होंने खुद बुलवाकर मेरे साथ फोटो खिंचवाई, जो मैंने अपने इंस्टा पर पिन करके रखी है। कहते हैं ना फल वाला पेड़ हमेशा झुका रहता है ठीक वैसे ही शाहरुख सर हैं। मैं कई लोगों से मिली हूं, लेकिन उनके जैसा कोई नहीं है। वे महिलाओं की बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच जैसी समस्या भी कभी आपको झेलनी पड़ी? हां, मेरे साथ हुआ है। कई बड़े कास्टिंग डायरेक्टर्स मीटिंग फिक्स करते, फिर अचानक कैंसिल करके बोलते “7 बजे के बाद आना, जब ऑफिस बंद हो जाए।” इससे उनका मतलब क्या होता, समझना मुश्किल नहीं था, और मैं नहीं जाती थी। एक बड़े सिनेमैटोग्राफर ने तो मेरे सूट झुमके वाले गेटअप को देखकर कह दिया था कि इस लुक में तुम्हें सीरियल तक नहीं मिलेगा। एक डायरेक्टर ने मुझसे डायरेक्ट पूछ लिया था कि “ड्रिंक करती हो? कभी सेक्स किया है?”आज मैं यह सब खुलकर बता पा रही हूं, लेकिन पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। फिर मैंने सोचा कि ऐसे डायरेक्टर्स को नहीं, बल्कि उन लोगों को अप्रोच करूं जिनके लिए मेरा काम जरूरी हो। मुझे संजय मिश्रा के अपोजिट फिल्म कांचली मिली। इस फिल्म ने मेरा कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ाया। आप कोविड वॉरियर भी रहीं। आपने कोविड के दौरान कई लोगों की जान बचाई, लेकिन फिर खुद कोविड, ब्रेन स्ट्रोक और पैरालिसिस से गुजरीं। उस कठिन दौर के बारे में थोड़ा बताएं। मैं आज भी उस दौर को याद करके इमोशनल हो जाती हूं। वह मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था। कोविड के दौरान मैं मुंबई में फंसी थी। सेकंड वेव में मुझे कोविड हुआ और मेरा शुगर अचानक 36 पर पहुंच गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि मैं कोमा में जा सकती थी।मैं अस्पताल में एडमिट हुई और सब ठीक हो रहा था, तभी मुझे ब्रेन स्ट्रोक हुआ और मेरा आधा चेहरा टेढ़ा हो गया। लगा कि मेरे सारे सपने अधूरे रह जाएंगे। इतनी स्थिति खराब थी कि सोने से भी डर लगता था लगता था सुबह नहीं उठूंगी।ठीक होने में समय लगा, दवाइयां चल रही थीं, और घर वाले खासकर मेरी मां बहुत ध्यान रख रहे थे। मां कहती थीं “जिनके हाथ-पैर नहीं होते, वो भी ओलंपिक में दौड़ जाते हैं, तुम्हें तो कुछ नहीं हुआ है। स्टेरॉयड की वजह से मेरा वजन 95 किलो हो गया था। लोगों ने ट्रोलिंग शुरू कर दी कि मैं अब हीरोइन जैसी नहीं दिखती।फिर मैंने फिटनेस जर्नी शुरू की योग किया, सात्विक डाइट ली, और 95 से 47 किलो वज़न कर लिया। वज़न घटाने के बाद लगा जैसे मैंने अपने अंदर से ही एक इंसान निकाल दिया हो।जब मीडिया को पता चला तो सबने लिखना शुरू किया “शिखा इज बैक इन बॉलीवुड नाउ।” और बस, यही सुनना था मुझे।


