निगम के रैन बसेरे खाली, खुले में सो रहे लोग:हॉस्पिटल परिसर में मरीजों के परिजनों को राहत; बेसहारा बोले- हमारे पास आधार कार्ड नहीं

प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसका असर कोटा में भी दिख रहा है। यहां रात का तापमान 6-7 डिग्री तक पहुंच चुका है। बढ़ती सर्दी को देखते हुए नगर निगम ने भी बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरे बनाए है। नगर निगम उत्तर की ओर से क्षेत्र में कुल 7 रैन बसेरे लगाए गए हैं। जिनमें चार स्थाई और तीन अस्थाई रैन बसेरे हैं। एमबीएस परिसर में स्थाई रैन बसेरा बनाया गया है। वहां एक बड़े हॉल में सोने की व्यवस्था है। वहीं जेके लोन हॉस्पिटल परिसर में स्थित रैन बसेरे में केवल महिलाओं के ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा अस्थाई रैन बसेरे भी है। इसके बावजूद बेसहारा लोग रैन बसेरों में सोने नहीं जाते। भास्कर ने रात को रैन बसेरों का निरीक्षण किया। फुटपाथ पर सोते लोगों से बात की कि आखिर वे रैन बसेरे में क्यों शरण नहीं ले रहे है। बेसहारा लोग सड़क पर ठिठुरते नजर आए
सर्दी से बचाव के लिए नगर निगम की ओर से मजदूर व बेसहारा लोगों के लिए स्थाई व अस्थाई रेन बसेरे बनाए गए है। मंगलवार रात 2 घंटे तक (8 से10 बजे तक )10 किमी एरिया में घूमकर हकीकत जानी। कई लोग खुले आसमान के नीचे ठंड में ठिठुरते नजर आए। जिनमें छोटे-छोटे मासूम बच्चे भी शामिल थे। उनके पास सर्दी से बचने का एक मात्र सहारा प्लास्टिक का तिरपाल था। युवक बोला- आधार कार्ड नहीं, कैसे जाए रैन बसेरा
सबसे पहले रात 8 बजे करीब किशोरसागर तालाब किनारे पहुंचे। कोटडी से स्टेशन जानी वाली सड़क पर तालाब किनारे 10 से 12 बेसहारा लोग एक लाइन में सोते हुए नजर आए। उन्होंने सर्दी से बचने के लिए चद्दर,कंबल, प्लास्टिक का तिरपाल ओढ़ रखा था। एक युवक से रैन में बसेरे में नहीं जाने का कारण पूछा। तब उसने बताया- वह एमपी का रहने वाला है। कोटा में मजदूरी करने के लिए आया है। रैन बसेरे में सोने के लिए 20 रुपए देने पड़ते है। रोज मजदूरी के लिए इतने ही पैसे कमा पाता हूं जितने में खाना हो जाता है। इसके अलावा आधार कार्ड भी मांगा जाता है, जो उसके पास नहीं है। यहां से तेजाजी मंदिर बारहदरी के पास पहुंचे। यहां भी कमोबेश वहीं हालात मिले। यहां एक मजदूर परिवार सो रहा था। एक मजदूर अलाव जलाकर खाना खा रहा था। बातचीत में मजदूरों ने बताया- रैन बसेरे में पैसे मांगते है। इसके अलावा शराब पीकर भी लोग आते है इसलिए परिवार सहित यहीं सोता हूं। रैन बसेरे की जानकारी नहीं
यहां से 100 मीटर दूरी पर एक बुजुर्ग दंपती प्लास्टिक का तिरपाल ओढ़े सो रहे थे। बुजुर्ग ने बताया- वो कई महीनों से यहां फुटपाथ पर सो रहे है। उन्हें रैन बसेरे के बारे में जानकारी नहीं है। सुबह सफाईकर्मी आते है तो वे उठा देते है। यहां एक किमी के दायरे में कम से कम 30-40 लोग भरी ठंड में फुटपाथ पर सोते मिले। यहां से थोड़ा आगे लक्की बुर्ज होते हुए जयपुर गोल्डन तक गए। इस रूट पर भी कई बेसहारा लोग सड़क किनारे फुटपाथ पर सोते नजर आए। लोगों ठंड से बचने के लिए चद्दर,रजाई और कंबल ओढ़ रखे थे। आईडी नहीं होने पर मोबाइल नंबर से एंट्री
बूंदी स्थित कुन्हाड़ी पेट्रोल पंप सर्किल पहुंचे। यहां महाराणा प्रताप चौक के पास रोटरी फ्लाई ओवर के नीचे नगर निगम का बड़ा अस्थाई रैन बसेरा दिखाई दिया। रैन बसेरे में जाकर देखा तो 10-15 लोग मौजूद थे। रजाई गद्दों की पूरी व्यवस्था थी। पानी के कैंपर रखे हुए थे। यहां होमगार्ड जवान से बातचीत की। होमगार्ड शिवराज ने बताया कि यहां मजदूर वर्ग के लोग सोने आते है। सभी से आईडी ली जाती है। आईडी नहीं होने पर मोबाइल नम्बर से एंट्री की जाती है। निगम के स्थाई रैन बसेरे में गीजर नहीं
सीबी गार्डन,नयापुरा होते हुए जेडीबी कॉलेज, अंटाघर सर्किल से कॉलेज रोड होते हुए एमबीएस हॉस्पिटल परिसर में पहुंचे। एमबीएस परिसर में नगर निगम का स्थाई रैन बसेरा बनाया गया है। वहां एक बड़े हॉल में 4-5 लोग सो रहे थे। सभी के पास रजाई थी। ठंड से बचाव के लिए 2 हीटर लगा रखे थे। पानी के कैंपर रखे थे। बाथरूम में जाकर देखा तो गीजर नहीं था। स्टाफ बोला- अधिकतर मरीजों के परिजन आते
रेन बसेरे के स्टाफ चेतन पंडित से बातचीत की। चेतन ने बताया- यहां दो बड़े हॉल है। जिनमें एक में 25 और दूसरे 16 लोगों के सोने की नि:शुल्क व्यवस्था है। यहां अधिकतर हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के परिजन सोने आते है। चेतन बताया कि यहां वाले लोगों से आईडी ली जाती है, रजिस्टर में एंट्री होती है। केवल महिलाओं के लिए रैन बसेरा
इसके बाद जेके लोन हॉस्पिटल परिसर में स्थित रेन बसेरे में पहुंचे। ये केवल महिलाओं के ठहरने के लिए बनाया हुआ है। यहां 5-6 महिलाएं सो रही थी। कमरें में रूम हीटर लगा हुआ था। यहां 20 बेड मौजूद थे। जिनमें से करीब 15 बेड खाली थे। यहां माकूल व्यवस्था थी। बाथरूम में गीजर भी लगा हुआ था। अलाव जलाने के लिए लकड़ियां भी पड़ी हुई थी। इसी परिसर में एक अस्थाई रेन बसेरा बनाया हुआ था। जिसमें रजाई गद्दे रखे थे। केवल एक व्यक्ति मौजूद था। बाकी पूरा खाली था। यहां 10 लोगों के सोने की व्यवस्था है।

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