राजधानी के नगर निगम में शहरी सरकार बदलने के साथ ही सफाई ठेके को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। निगम के 70 वार्डों में इस बार 30 से ज्यादा पार्षद पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं। इस वजह से उनके पतियों का वार्डों के कामों में सक्रियता बढ़ गई है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही पार्षद फील्ड में उतर आए हैं। इसमें लगभग सभी का पहला निशाना सफाई पर ही रहा है। ज्यादातर पार्षदों को अपना वार्ड में सफाई व्यवस्था भा नहीं रही है। यही वजह है कि पिछले एक हफ्ते में दस ठेकेदारों पर जुर्माना लग चुका है। निगम और जोन कमिश्नर के पास हर दूसरे दिन सबसे ज्यादा शिकायत सफाई को लेकर ही पहुंच रही है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि 70 वार्डों में सफाई का ठेका मार्च से मई तक में खत्म हो रहा है। यही वजह है कि सभी नए पार्षद अपने हिसाब से सफाई का काम आवंटित करवाना चाहते हैं। इन जिन पार्षदों की पुराने सफाई ठेकेदारों से नहीं बन रही है वे सबसे पहले पुराना ठेका खत्म करवाना चाहते हैं। जोन में अघोषित सिस्टम के तहत पार्षद की मर्जी से ही सफाई ठेकेदार का चयन होता है। बिना पार्षद की सहमति से सफाई का ठेका आवंटित नहीं किया जाता है। माना जाता है कि पार्षद को सबसे ज्यादा अघोषित आय सफाई ठेके से ही होती है। पार्षद और सफाई ठेकेदार की सहमति से ही कर्मचारियों की संख्या घटती-बढ़ती है। इसलिए सभी पार्षदों की इस काम में सबसे ज्यादा दिलचस्पी रहती है। रोज एक वार्ड की जांच, हर जगह सफाई कर्मचारी मिल रहे हैं कम : नए पार्षदों की शिकायत के बाद अफसर रोजाना एक वार्ड की जांच कर रहे हैं। एक हफ्ते में 10 वार्डों में सफाई कर्मचारी कम मिले हैं। कुछ वार्ड ऐसे भी हैं जहां कर्मचारियों की संख्या आधी ही मिली। जोन 8 के 6 वार्डों के सफाई ठेकेदारों पर अब तक 50 हजार रुपए का जुर्माना लग चुका है। जोन 2 के वार्डों में सफाई ठेकेदारों पर जुर्माना किया गया है। इसी तरह वीर सावरकर नगर वार्ड के सफाई ठेकेदार अनिल गिलारे पर 10 हजार, डॉ. एपीजे अबुल कलाम वार्ड के ठेकेदार रजत इंटरप्राइजेस पर 10 हजार, रामकृष्ण परमहंस वार्ड के ठेकेदार दानेश्वर सेंद्रे पर 10 हजार, शहीद भगत सिंह वार्ड के ठेकेदार ओमप्रकाश झा पर 10 हजार, माधवराव सप्रे वार्ड के ठेकेदार कार्तिकेश्वर कुमार साहू पर 5000 और संत रविदास वार्ड के ठेकेदार यूनिवर्सल ऑटो इलेक्ट्रिकल्स एंड रिपेयरिंग वर्क पर 5000 रुपए का जुर्माना लग चुका है। इन सभी वार्डों में कर्मचारी तय संख्या से कम काम कर रहे थे। जोन अफसर भी सिफारिश कर रहे हैं, ठेकेदारों की
वार्डों में सफाई ठेकेदारों के साथ जोन अफसरों की भी मिलीभगत रहती है। अधिकतर वार्डों में उनकी पसंद के ठेकेदार सफाई का काम कर रहे हैं। जोन अफसर पार्षदों से इन्हीं ठेकेदारों को काम देने की सिफारिश करते हैं। क्योंकि पिछले पांच साल तक उनकी ट्यूनिंग उनके साथ बेहतर रहती है। यही वजह है कि नया कार्यकाल शुरू होने के साथ ही जोन अफसरों ने भी अपने ठेकेदारों को नए सिरे सफाई ठेका दिलाने के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है। शहर के अलग-अलग वार्डों में 40 से 50 और कुछ वार्डों में 60 सफाई कर्मचारी तक काम कर रहे हैं। इन्हीं कर्मचारियों की संख्या में सारा खेल खेला जाता है। वार्डों में आधे सफाई कर्मचारियों को उतारा जाता है और आधों को फाइलों में। इन्हीं आधे कर्मचारियों की संख्या आपस में बांटी जाती है। एक सफाई कर्मचारी का नियमित भुगतान 8 से 10 हजार रुपए तक होता है।