झारखंड के विश्वविद्यालयों में डेमोंस्ट्रेटर को प्रमोशन देकर यूनिवर्सिटी शिक्षक का दर्जा दे दिया गया है। करीब 15 साल से ये नए पद पर नौकरी कर रहे हैं। लेकिन अब इन्हें डिमोट कर फिर डेमोंस्ट्रेटर बनाया जाएगा। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने डिमोशन की कार्रवाई शुरू कर दी है। डेमोंस्ट्रेटर को प्रमोशन देने में नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप है। इन्हें सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर ही नहीं बनाया गया, बल्कि कई को एसोसिएट प्रोफेसर तक बना दिया गया। प्रमोशन पाने वालों की संख्या 100 से अधिक है। जिन विश्वविद्यालयों में इन्हें प्रमोशन दिया गया, उनमें रांची यूनिवर्सिटी, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग, कोल्हान यूनिवर्सिटी, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी धनबाद, नीलांबर-पीतांबर यूनिवर्सिटी डालटनगंज, सिदो-कान्हू यूनिवर्सिटी दुमका और डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी रांची शामिल हैं। प्रमोशन पाकर ये एचओडी और विश्वविद्यालय के अधिकारी तक बन गए हैं। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की कार्रवाई शुरू होने के बाद अब इन शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर डिमोशन की तैयारी उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने डेमोंस्ट्रेटर से प्रमोशन पाकर शिक्षक बने लोगों के डिमोशन का आधार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि डेमोंस्ट्रेटर को शिक्षक नहीं बनाया जा सकता। इस फैसले के आधार पर यूनिवर्सिटी में वर्ष 2011 में नियमों में संशोधन कर दिया। इसके मुताबिक डेमोंस्ट्रेटर को किसी भी स्थिति में शिक्षक नहीं बनाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के आधार पर अब इनके डिमोशन की कार्रवाई शुरू की गई है। इससे उन लोगों में भय की स्थिति बन गई है, जो डिमोंस्ट्रेटर से प्रोन्नत होकर असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर बनाए गए थे। इस आधार पर दिया गया था प्रमोशन सरकार ने वर्ष 1991 में एक परिनियम जारी किया था। इसमें कहा गया था कि डेमोंस्ट्रेटर पद पर सात साल देने वालों को प्रमोशन दिया जा सकता है। लेकिन प्रमोशन उन्ही डेमोंस्ट्रेटर को मिलेगा, जिनकी नियुक्ति वर्ष 1975 से पहले हुई हो। लेकिन यहां भी नियमों की अवहेलना की गई। उन्हें भी प्रमोशन दे दिया गया, जिनकी नियुक्ति 1975 के बाद हुई थी। लैब टेक्निशियन पद पर हुई थी नियुक्ति इन सभी की नियुक्ति लैब टेक्निशियन पद पर हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर 1993 में इस पद को डेमोंस्ट्रेटर नाम दे दिया गया। तब से ये डेमोंस्ट्रेटर के नाम से जाने जाते हैं। उधर यूनिवर्सिटी के नियम-परिनियम के जानकारों का कहना है कि यूनिवर्सिटी एक्ट में जब 2011 में संशोधन कर दिया गया कि डेमोंस्ट्रेटर शिक्षक नहीं बन सकते तो इन्हें किसी परिनियम से प्रमोशन नहीं दिया जा सकता। नियम से मिला था प्रमोशन, विभाग को दस्तावेज उपलब्ध करा दिया है विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार डेमोंस्ट्रेटर को शिक्षक के पद पर प्रमोशन दिया गया था। इससे संबंधित कागजात उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है। -डॉ. बीआर झा, पूर्व एचओडी जियोलॉजी, रांची यूनिवर्सिटी