सीहोर में जिला एवं तहसील स्तर पर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा ने किया। लोक अदालत में 3619 प्रकरणों का निराकरण किया गया एवं समझौता राशि 13 करोड़ 31 लाख 23 हजार 914 रूपए जमा हुई। प्रधान जिला न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि हमें हर योजना को उसके मूर्त रूप में लागू कर आमजन को लाभान्वित करना चाहिए। आमजन को सस्ता सरल और सुलभ न्याय दिलाने का लोक अदालत एक प्रभावी स्थान है। जो वर्तमान समय में समाज के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि लोक अदालत से लोगों का धन और समय दोनों की बचत के साथ ही आपसी सौहार्द भी बना रहता है। लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के त्वरित निराकरण से पक्षकारों का न्यायिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ता है, जिससे और अधिक न्याय प्राप्ति के लिए इच्छुक पक्षकार अपने विवाद लेकर न्यायालय के समक्ष आने के लिए प्रेरित होते है। कुल 3619 प्रकरणों का किया गया निराकरण नेशनल लोक अदालत में कुल 3619 प्रकरणों का निराकरण किया गया। आपसी समझौते के आधार पर निराकरण कराए जाने के लिए न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम में लंबित 1246 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 965 प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर हुआ एवं समझौता राशि 09 करोड़ 12 लाख 37 हजार 901 रुपए जमा कराई गई। इसी तरह नेशनल लोक अदालत की खंडपीठ के समक्ष कुल 16597 प्री लिटिगेशन प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 2654 प्रकरणों का निराकरण हुआ एवं समझौता राशि 04 करोड़ 18 लाख 86 हजार 13 रुपए जमा कराई गई। अलग-अलग रह रहे दंपती खुशी-खुशी साथ लौटे नेशनल लोक अदालत में एक प्रकरण में दो पक्षों को समझाइश देकर राजीनामा करवाया गया। इसके साथ ही एक अन्य मामले में आवेदक जयदीप साहू ने अपनी पत्नि साक्षी साहू के खिलाफ मामला प्रस्तुत किया था। दोनों का विवाह होने के बाद उनकी एक संतान है। दोनों पति-पत्नि छोटी-मोटी पारिवारिक बातों को लेकर वह अलग-अलग रहने लगे। इस प्रकरण में पारिवारिक मामला और भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रधान जिला न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुश्री सुमन श्रीवास्तव ने दोनों को समझाया। जिसके बाद दोनों पक्षों ने राजीनामा कर साथ रहने के लिए सहमत हो गए। दोनों दंपती एक दूसरे को फूल-माला पहनाकर खुशी-खुशी घर रवाना हुए।