भोपाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के डिजिटाइजेशन का काम भले ही पूरा हो गया हो, लेकिन 2 लाख 23 हजार वोटर्स अब भी ऐसे हैं, जिनका साल 2003 की वोटर्स लिस्ट के अनुसार डेटा नहीं मिला है। कुल 10.5 प्रतिशत वोटर्स को ‘नो मेपिंग’ के दायरे में रखा गया है। ऐसे में अब जिला प्रशासन ने री-चेकिंग के प्रक्रिया शुरू की है। जानकारी के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कहा है कि 48 घंटे के अंदर नो मेपिंग में डाले गए नामों को ठीक किया जाए। इसलिए 15 हजार से ज्यादा नाम री-चेकिंग में डाले गए हैं। मंगलवार को पूरे दिन काम चला। बुधवार को भी बीएलओ काम में जुटे हुए हैं। ताकि, नो मेपिंग का आंकड़ा जल्दी पूरा कर लिया जाए। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि एसआईआर के डिजिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया गया है। अब आगे की प्रक्रिया कर रहे हैं। अधिक ‘नो मेपिंग’ वाली विधानसभाओं में काम
जानकारी के अनुसार, जिन विधानसभा में नो मेपिंग अधिक हुई है, वहां टीमें भेजी गई है। बीएलओ घर-घर जाकर वोटर्स के रिकॉर्ड के बारे में पता लगा रहे हैं। इस वजह से नो मेपिंग का आंकड़ा करीब 2 लाख 10 हजार पर आ गया है। 50 दिन तक चलेगी सुनवाई
उप जिला निर्वाचन अधिकारी भुवन गुप्ता ने बताया कि नो मेपिंग के मतदाताओं की 50 दिन तक सुनवाई की जाएगी। प्रत्येक विधानसभा में अतिरिक्त अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। जिले में 100 सहायक रजिस्ट्रकरण अधिकारी रहेंगे। ताकि, वे हर मतदाता की सुनवाई कर सकें। 16 दिसंबर को मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। इसके बाद यह प्रक्रिया शुरू होगी। बीएलओ फार्म लेंगे। नए मतदाता भी अपने नाम जुड़वा सकेंगे। जिनका डेटा नहीं मिलेगा, उनके विरुद्ध प्रक्रिया अनुसार कार्रवाई की जाएगी।


