रूस में पढ़ाई करने गया पंजाब के लुधियाना का युवक मॉस्को के अस्पताल में भर्ती है। उसका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उसने बताया कि उसे धोखे से रूसी फौज में भर्ती कर लिया गया और जंग के दौरान उसका जबड़ा टूट गया। वीडियो में बूटा सिंह ने कहा- मैं कुछ समय पहले रशिया आया था। इसके बाद हमें धोखे से रशियन आर्मी में भर्ती कर लिया गया और हमें फ्रंट लाइन पर भेज दिया गया। इस मामले पर राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा कि रूस में करीब 127 भारतीय युवक फंसे हुए थे, जिनमें से अब तक 98 को वापस लाया जा चुका है। बाकी को लाने के लिए सरकार कोशिश कर रही है। वहीं भारत सरकार ने तीन हफ्ते पहले रूस से अनुरोध किया था कि वे भारतीयों को सेना में भर्ती न करें और पहले से भर्ती लोगों को रिहा करें। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे ऐसे किसी भी ऑफर से दूर रहें। युवक बूटा सिंह ने क्या कहा, सिलसिलेवार समझिए.. 20 दिनों से मॉस्को के आर्मी अस्पताल में भर्ती
बूटा सिंह नाम के युवक ने बताया कि वह जंग के दौरान घायल हो गया था और पिछले 20 दिनों से मॉस्को के आर्मी अस्पताल में भर्ती है। उसने भारत सरकार और मास्को स्थित इंडियन एम्बेसी से अपील की है कि उसकी मदद की जाए और उसे वापस भारत भेजा जाए। भारत की मांग- रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती रोकें
भारत सरकार ने करीब तीन हफ्ते पहले रूस से मांग की है कि वह अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती बंद करे और पहले से भर्ती हुए भारतीयों को रिहा किया जाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जनता को आगाह किया है कि वे ऐसे किसी भी प्रस्ताव को न मानें। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान सामने आया कि कई भारतीय नौकरी की तलाश में रूस गए, लेकिन उन्हें जबरन सेना में शामिल कर जंग में भेजा गया। विदेश मंत्रालय बोला- हम पहले भी कई बार चेतावनी दे चुके हैं
भारत बार-बार रूस से रूसी मिलिट्री यूनिट में रसोइये और सहायक कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे सभी भारतीयों को रिहा करने की मांग करता रहा है। इन लोगों को नौकरी का झांसा देकर युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता है। यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अपनी रूस यात्रा के दौरान भी उठाया था।