देश में आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। सुबह से मंदिरों में भव्य भीड़ है। नवरात्रि के पावन अवसर पर आज यानी रविवार को पंजाब के जालंधर में स्थित राज्य के इकलौते श्री शक्तिपीठ माँ त्रिपुरमालिनी के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित श्री शक्तिपीठ माँ त्रिपुरमालिनी के दर्शन के लिए सुबह से ही लाइनों में लगकर भक्त पहुंच रहे हैं। शक्ति की आराधना का पर्व यानि नवरात्र को लेकर पुलिस द्वारा भी श्री शक्तिपीठ माँ त्रिपुरमालिनी के दरबार के आसपास सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। माता सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल और पंजाब के जालंधर में स्थित मां त्रिपुरमालिनी श्री देवी तालाब मंदिर में विराजमान हैं। नवरात्रि के उपलक्ष्य में आज मां त्रिपुरमालिनी को गुलाबी रंग के चमकीले वस्त्रों से सजाया गया। साथ ही मंदिर को फूलों से सजाया गया है। आज सुबह 5 बजे ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। अब पढ़ें मां त्रिपुरमालिनी मंदिर का इतिहास….. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अर्धांगिनी सती माता अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को न बुलाए जाने का अपमान सहन नहीं कर पाई और उसी यज्ञ कुंड में कूद गईं। भगवान शिव को जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया व राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में भगवान शिव सती माता की जली हुई देह लेकर विलाप करते हुए ब्रह्मांड में घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। उसके अनुसार श्री देवी तलाब मंदिर में माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। जिसके चलते इस शक्ति पीठ का नाम मां त्रिपुरमालिनी पड़ा। मान्यता है कि मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में जो भी वक्त सवा महीने तक लगातार आता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। यहां हर शुक्रवार को मां की भव्य चौकी लगाई जाती है।