पंजाब के 20 जिलों में भूजल संकट गंभीर:सांसद हरसिमरत के जवाब में केंद्र ने 19 को ‘ओवर-एक्सप्लॉइटेड’ और रोपड़ को ‘क्रिटिकल’ बताया

पंजाब में जलसंकट गहराता जा रहा है। लोकसभा में सांसद हरसिमरत कौर बादल के सवाल के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जानकारी दी कि पंजाब के 19 जिलों को ‘ओवर-एक्सप्लॉइटेड’ और एक जिले रोपड़ को ‘क्रिटिकल’ श्रेणी में रखा गया है। यह वर्गीकरण जल शक्ति अभियान 2025 के तहत केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा भूजल स्तर में गिरावट, भौगोलिक स्थिति और आकांक्षात्मक जिलों के आधार पर किया गया है। इन 20 जिलों में अमृतसर, बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मालेरकोटला, मानसा, मोगा, पटियाला, मोहाली, नवांशहर, संगरूर और तरनतारन शामिल हैं। भूजल का अत्यधिक दोहन कृषि, घरेलू और औद्योगिक जरूरतों के लिए किया जा रहा है, जिससे भविष्य में पंजाब गंभीर जल संकट की ओर बढ़ सकता है। 5 साल में पंजाब पर 1186 करोड़ खर्च केंद्र सरकार ने जल शक्ति अभियान, कैच द रेन (JSA:CTR), के तहत मार्च 2025 में “जल संचय जन भागीदारी: जन जागरूकता की ओर” थीम के साथ इस मुहिम की शुरुआत की थी, जिसमें जल संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी और विभिन्न सरकारी योजनाओं के समन्वय पर जोर दिया गया। मंत्रालय ने बताया कि 2021 से 2025 तक पंजाब में जल शक्ति अभियान पर 1,186.06 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसमें पारंपरिक जल स्रोतों के नवीनीकरण पर 417.96 करोड़, वाटरशेड विकास पर 337.49 करोड़, घने वनरोपण पर 338.40 करोड़, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पर 85.02 करोड़ और रिचार्ज संरचनाओं पर 7.19 करोड़ खर्च किए गए। साथ ही जिला-स्तरीय जल योजना और जल निकायों की GIS मैपिंग के लिए 25 लाख की अतिरिक्त राशि जारी की गई। 23 जिलों में जल शक्ति केंद्र स्थापित पंजाब में पिछले पांच वर्षों में 1.09 लाख जल संरक्षण कार्य किए गए हैं और सभी 23 जिलों में जल शक्ति केंद्र (JSK) स्थापित हुए हैं। प्रत्येक जिले ने अपनी जल संरक्षण योजना भी तैयार की है। हालांकि पानी राज्यों का विषय है, फिर भी केंद्र सरकार तकनीकी और वित्तीय सहयोग देकर राज्यों के प्रयासों को मजबूती दे रही है। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, पूरे देश में 1.87 करोड़ जल संरक्षण से जुड़ी गतिविधियां 26 जुलाई 2025 तक पूरी हो चुकी हैं और 712 जल शक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं। भूजल दोहन पर कंट्रोल करने की जरूरत विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भूजल दोहन की गति इसी तरह जारी रही तो पंजाब अगले कुछ वर्षों में गंभीर जल संकट का सामना कर सकता है। ऐसे में वर्षा जल संचयन, सूक्ष्म सिंचाई, फसल चक्र परिवर्तन और जन भागीदारी को केंद्र में रखते हुए स्थायी जल प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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