पंजाब में झींगा खेती को लेकर बड़ा कदम, सीआईबीए और वेटनरी यूनिवर्सिटी का समझौता

लुधियाना| पंजाब में खारे पानी के जलीय कृषि के सतत विकास के संबंध में गुरु अंगद देव वेटरनरी व एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर, चेन्नई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह संस्था इस क्षेत्र में अग्रणी संस्था है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवॉटर एक्वाकल्चर के निदेशक डॉ. कुलदीप के लाल और विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एके अरोड़ा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर वाइस चांसलर डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल भी मौजूद रहे। डॉ. गिल ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में खारे पानी वाली गैर कृषि भूमि में झींगा की सफलतापूर्वक खेती करके इस भूमि को लाभदायक बनाने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज, चारे की लागत, बीमारियां और निर्यात आधारित विपणन इस परियोजना के लिए विशेष चुनौतियां हैं। डॉ. कुलदीप ने कहा कि इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। केंद्रीय संगठन के पास बायोफ्लॉक विधि से झींगा बीज नर्सरी तैयार करने, लागत प्रभावी चारा उत्पादन, संसाधनों के कुशल उपयोग और रोगों के नियंत्रण के लिए पर्याप्त ज्ञान है। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस समझौते से पंजाब के खारे पानी वाले इलाकों के किसानों को फायदा होगा और नई तकनीकों से छोटे, मध्यम और बड़े किसान भी बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे।फिशरीज कॉलेज की डीन डॉ मीरा डी आंसल ने कहा कि यह समझौता जहां कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देगा, वहीं यह भागीदारों यानी किसानों, वैज्ञानिकों के बीच वैज्ञानिक ज्ञान व प्रौद्योगिकियों को साझा करने का प्रयास साबित होगा।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *