छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में चरित्र शंका के चलते पत्नी और 3 मासूम बच्चों की हत्या करने के आरोपी पति की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने पलट दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने इस घटना को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं माना है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अभियुक्त जब तक जिंदा रहेगा, तब तक जेल में सजा काटेगा। पूरा मामला मस्तूरी थाना क्षेत्र का है। ग्राम हिर्री निवासी उमेंद्र केंवट (34) की शादी 2017 में जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा थाना क्षेत्र के ग्राम बरगवां निवासी सुकृता केंवट से हुई थी। उसकी दो बेटियां खुशी (05) और लिसा (03) और बेटा पवन (18 ) थे। 1 जनवरी 204 की रात पत्नी जब रात में बाड़ी गई, तो आरोपी ने पीछे से नाइलोन की रस्सी से उसका गला घोंट दिया। इसके बाद उसने सो रहे बच्चों को भी रस्सी से गला घोंटकर मार डाला। लोगों को जब इस घटना की जानकारी हुई, तब उन्होंने पुलिस को सूचना दी। सेशन जज ने सुनाई थी फांसी की सजा
सेशन जज अविनाश के त्रिपाठी की अदालत में मामले का ट्रॉयल चला। कोर्ट ने सात माह के भीतर अभियुक्त को चारों की हत्या का दोषी पाया। त्रिपाठी ने मामले की सुनवाई पूरी करते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए उमेंद्र को मरते दम तक फंदे पर लटका कर मृत्यु दंड की सजा देने का आदेश दिया है। सेशन जज अविनाश के त्रिपाठी ने फैसले में लिखा है कि दोषी को फंदे से तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत ना हो जाए। हाईकोर्ट ने बदला फांसी की सजा, अब मरते दम तक जेल बिताएगा जीवन
सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए केस को हाईकोर्ट ट्रांसफर किया था। डिवीजन बेंच में इस केस की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट के फैसले की समीक्षा की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने फांसी की सजा की पुष्टि पर भी सुनवाई की। डिवीजन बेंच ने कहा कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं कहा जा सकता, जिससे अभियुक्त को मृत्युदंड की सजा जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी और मासूम बच्चों की हत्या का यह मामला जघन्य है। ऐसे में फांसी की सजा को बदल कर कोर्ट ने आजीवन कारावास करने का आदेश दिया है।