पलामू जोन के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) नौशाद आलम ने पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और पेशेवर छवि बनाए रखने के उद्देश्य से एक अहम आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले के सभी पुलिस पदाधिकारियों को अपने सरकारी मोबाइल फोन पर वर्दी में अपनी तस्वीर लगानी होगी। गैर-वर्दीधारी या पारिवारिक तस्वीरों पर रोक डीआईजी ने कहा है कि कई पुलिसकर्मी अपने सरकारी मोबाइल फोन पर पारिवारिक या साधारण कपड़ों में खींची गई तस्वीरें लगा रहे हैं। इससे आम जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है और विभाग की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक गंभीर विषय है, क्योंकि सरकारी फोन का उपयोग आम जनता से संवाद और आधिकारिक कार्यों के लिए होता है। पुलिस की पहचान वर्दी और कर्तव्य से जारी आदेश में कहा गया है कि एक पुलिसकर्मी की असली पहचान उसकी वर्दी, कर्तव्यनिष्ठा और पारदर्शिता से होती है। जब कोई आम नागरिक पुलिसकर्मी से संपर्क करता है, तो उसके फोन पर लगी वर्दीधारी तस्वीर से यह सहज रूप से स्पष्ट होना चाहिए कि वह व्यक्ति पुलिस विभाग का कर्मी है। इससे विश्वास और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित होंगे। सभी पदाधिकारियों पर लागू होगा आदेश यह निर्देश पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले के सभी पुलिस उपाधीक्षक, निरीक्षक, थाना प्रभारी और पोस्ट प्रभारी पर लागू होगा। डीआईजी ने संबंधित अधिकारियों को इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश भी दिया है। पहले भी दिए गए थे अनुशासनात्मक निर्देश इससे पहले डीआईजी ने यह निर्देश जारी किया था कि थाना प्रभारी, पिकेट प्रभारी और इंस्पेक्टर अपने मोबाइल में वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर अनिवार्य रूप से सेव रखें। किसी अधिकारी के फोन करने पर परिचय पूछना अनुशासनहीनता मानी जाएगी। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य पुलिस बल में अनुशासन, त्वरित संवाद और प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देना है। पारदर्शिता और विश्वास लाना है उद्देश्य डीआईजी का यह आदेश पुलिस विभाग में पारदर्शिता, जवाबदेही और जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल विभाग की छवि सुदृढ़ होगी, बल्कि जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।