लुधियाना | नगर निगम लुधियाना में सड़कों के निर्माण से पहले का पूरा प्रोसेस फॉर्मेलिटी बन गई है। नियमानुसार, किसी भी सड़क निर्माण से पहले ओएंडएम ब्रांच को यह सुनिश्चित करना होता है कि वहां सीवरेज और पेयजल लाइनें ठीक हैं। तभी वह बीएंडआर ब्रांच को एनओसी देती है और काम शुरू होता है। लेकिन, सच्चाई इससे उलट है। ओएंडएम ब्रांच पहले सबकुछ ठीक बताकर एनओसी जारी कर रही है। फिर सड़क निर्माण शुरू होते ही रिपोर्ट बदली जाती है और नए काम की मंजूरी मिल जाती है। नतीजा- नई बनी सड़कें खुदाई के नाम पर तोड़ी जा रही हैं, नए टेंडर जारी हो रहे हैं और जनता का पैसा दोहरा खर्च हो रहा है। सवाल ये है कि जब लाइनें ठीक नहीं थीं, तो एनओसी क्यों दी गई? और अगर थीं, तो अब अचानक कैसे खराब हो गईं? शहर में बीते एक साल में दर्जनों सड़कों के साथ यही हुआ है। यह सब जानबूझ कर किया जाता है। अगर एक ही सड़क बार-बार तोड़ी जा रही है, तो यह कोई तकनीकी गलती नहीं, बल्कि सिस्टम की सुनियोजित साजिश है। निगम के अधिकारी जानबूझकर पहले एनओसी पास करवा देते हैं, ताकि टेंडर जल्द जारी हो। फिर बाद में रिपोर्ट बदल कर दूसरा टेंडर निकालते हैं। इससे दोहरा खर्च तो होता ही है, कमीशन भी दोगुना मिलता है। इस पर रोक के लिए ‘इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सिस्टम’ की जरूरत है, जिसमें सभी विभाग एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करें और जीआईएस बेस्ड मैपिंग हो। इससे यह साफ रहेगा कि जमीन के नीचे कौन सी लाइन कहां है। सड़कों को तोड़ने के लिए भी निगम अलग से पैसा खर्च करता है। खुदाई के लिए प्रति क्यूबिक मीटर 800 रुपए अदा किए जाते हैं। अगर 100 फीट सड़क तोड़ी जाती है, तो निगम को सिर्फ खुदाई के लिएसीधे 2400 रुपए देने होते हैं। यानी निर्माण से लेकर तोड़ने तक, हर कदम पर खर्च और उसका हिस्सा तय होता है। यही वजह है कि सड़कों का बार-बार खोदा जाना अब सिस्टम का हिस्सा बन गया है। भास्कर एक्सपर्ट हां, बिलकुल चूक हुई है; अब ऐसा नहीं होगा {हाल ही में बनीं करोड़ों की सड़कें खुद रही हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? -बीएंडआर और ओएंडएम ब्रांच के बीच समन्वय नहीं था। इसे दूर किया जाएगा। {जिन सड़कों पर ओएंडएम ब्रांच ने एनओसी दी, बाद में वहीं खुदाई हुई। क्या ये जांच का विषय नहीं है? -बिलकुल है। अगर पहले एनओसी देकर क्लियरेंस दी गई थी, तो अब ये जरूर जांचा जाएगा कि बाद में यू-टर्न क्यों लिया। {बीआरएस नगर और सराभा नगर में नई सड़कें उखाड़ी गईं। क्यों? -24 घंटे नहरी पानी योजना के तहत काम शुरू हुआ है। इसलिए सड़कें तोड़नी पड़ी। {क्या गारंटी है कि फिर ऐसा नहीं होगा? -बीएंडआर और ओएंडएम ब्रांच को नोटिस जारी किया जाएगा कि बिना साझा सहमति कोई प्रोजेक्ट पास न किया जाए। केस-4: रेलवे लाइन के पास में बनी सड़क खुदेगी आदित्य डेचलवाल, निगम कमिश्नर केस-3: वीर पैलेस-जीवन नगर, नई सड़क खोद दी केस-2: जस्सियां रोड पर भी दो रिपोर्टों से हुआ खेल केस-1: बीआरएस नगर व सराभा नगर में सड़कें खोदीं 4 केस-एक जैसी स्क्रिप्ट… अलग-अलग सड़कों पर ऐसे हो रही जनता के पैसों की लूट एक्सपर्ट के साथ दिनेश वर्मा की रिपोर्ट सीधी बात नवंबर 2024 में रेलवे लाइन के पास सड़क निर्माण के लिए 1 करोड़ का टेंडर पास किया। ओएंडएम ब्रांच ने एनओसी जारी की थी कि सीवरेज और पेयजल की लाइनें ठीक हैं। निर्माण शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही समय बाद वही ओएंडएम ब्रांच नई रिपोर्ट लाकर कहती है कि सीवरेज लाइनें फेल हैं। इन्हें बदलना पड़ेगा। अब दोबारा टेंडर जारी किया गया। फोकल पॉइंट एरिया में पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज एवं एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन ने 40 करोड़ की लागत से नई सीमेंटेड सड़कें बनाईं। यह निर्माण 6 महीने पहले पूरा हुआ। अब बताया गया कि नहरी जल योजना की पाइपलाइन डाली जानी है। अब वही सड़कें खुद चुकी हैं। पाइपलाइन बिछाई जा रही है और नई सड़क के लिए फिर बजट बनाया जा रहा है। एक कॉलोनी में 1 करोड़ की लागत से सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। एनओसी में सबकुछ ठीक बताया गया। टेंडर पास हुआ। मगर जैसे ही काम की रफ्तार बढ़ी, ओएंडएम ब्रांच ने रिपोर्ट बदल दी। अब बताया गया कि सीवरेज सिस्टम गड़बड़ है। नया टेंडर तैयार कर दिया गया। एक दोनों रिपोर्ट एक ही डिपार्टमेंट ने दी हैं। बीआरएस नगर व सराभा नगर में जहां एक साल पहले 1.5 करोड़ रु. में नई सड़कें बनीं। अब वाटर सप्लाई लाइन बिछाने के नाम पर सड़कें उखाड़ दी गई हैं। काम अधूरा पड़ा है और नई सड़क के लिए फिर एस्टीमेट बन रहा है। यही हाल सुनेत का भी है, जहां छह महीने पहले 60 लाख रु. की लागत से बनी नई सड़क भी खोद दिया गया है। डॉ. दलजीत सिंह, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर