छठी झारखंड विधानसभा के पहले सत्र का गुरुवार को समापन हो गया। चार दिवसीय यह सत्र कई मायनों में अलग रहा। कई ऐसी बातें देखने को मिली जो पहली बार हुईं। वैसे इस सत्र में विपक्षी दलों में विधानसभा चुनाव में मिले हार के सदमे का भी असर दिखा। दूसरी ओर, सत्ता पक्ष के चेहरे पर चमक था। विपक्षी विधायकों की बॉडी लैंग्वेज यह बता रही थी कि उन्हें सदमे से उबरने में थोड़ा समय लगेगा। हालांकि, इस सत्र में ऐसा कोई बिजनेस भी नहीं था। जिसमें विपक्ष को अपना तेवर दिखाने का मौका मिले। साथ ही, राज्यपाल के अभिभाषण के माध्यम से राज्य सरकार ने यह बता दिया कि चुनावों में जिन घोषणाओं और मुद्दों को लेकर वह आगे बढ़ी, उनपर काम करती रहेगी। सरकार स्थानीय नीति, आरक्षण व महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर काम करती रहेगी। झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू की जुबान फिसली विधानसभा में झामुमो, कांग्रेस, राजद ने अपने विधायक दल के नेता या मुख्य सचेतक का चुनाव कर लिया है, जबकि भाजपा अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुन सकी है। इसके बावजूद बाबूलाल मरांडी ने सदन में आगे बढ़कर भाजपा को नेतृत्व दिया। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव या फिर अनुपूरक बजट पर भाजपा की ओर से कौन विधायक अपनी बात रखेगा, यह उन्होंने ही तय किया। मरांडी ने स्पीकर को जो नाम सुझाए उसे आसन ने भी माना। इससे यह समझ में आया कि इस बार आसन भी मरांडी को तरजीह देगा। जबकि, पिछली विधानसभा में मरांडी को तो पांच साल तक सदन में बोलने का मौका भी नहीं मिला था। तीन दिनों के दौरान विपक्ष के पास तेवर दिखाने का मौका मिला, पर वह कुछ नहीं कर सका। सत्र के अंतिम दिन झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू की जुबान फिसली और उस पर भाजपा की डॉ. नीरा यादव ने जबरदस्त रिएक्ट किया। पूरी भाजपा वेल में आ गई। हेमलाल मुर्मू से माफी मंगवाने पर अड़ गई। जबकि, स्पीकर ने हेमलाल के शब्दों को स्पंज करा दिया। स्पीकर रबींद्रनाथ विपरीत परिस्थितियों में भी आए सबसे खास बात यह रही कि झारखंड विस के इतिहास में यह पहला मौका था, जब कोई स्पीकर लगातार दूसरी बार चुना गया हो। इससे भी खास बात यह रही कि दोबारा स्पीकर चुने गए रबींद्रनाथ महतो विपरीत परिस्थितियों में विधानसभा आए। उनके पिता का निधन हो गया था। इसके बाद वे उन्हीं कपड़ों में विधानसभा आए, जिसमें िपता को मुखाग्नि दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट भी लिखा था। इसके अलावा एक छोटी घटना को छोड़ दिया जाए तो चार दिन का सत्र बिल्कुल ही शांतिपूर्वक चला।