पाकिस्तान ने अमेरिका को खनिजों की पहली खेप भेजी:इमरान खान की पार्टी विरोध में, कहा- सीक्रेट सौदे से देश के हालत बिगड़ेंगे

पाकिस्तान ने पहली बार अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की छोटी खेप भेजी है। ये खनिज पिछले महीने अमेरिकी कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) के साथ हुए 50 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत भेजे गए। हालांकि इन्हें भेजने की टाइमिंग नहीं पता चल पाई है। इस सौदे का मकसद पाकिस्तान में खनिजों की खोज और प्रोसेसिंग के लिए कारखाने बनाना है। ये नमूने पाकिस्तानी सेना की ब्रांच फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गेनाइजेशन (FWO) की मदद से तैयार किए गए। USSM ने इसे पाकिस्तान और अमेरिका के बीच दोस्ती का बड़ा कदम बताया। कंपनी का कहना है कि यह समझौता खनिजों की खोज से लेकर प्रोसेसिंग तक सब कुछ कवर करता है। इमरान खान की पार्टी ने सौदे का विरोध किया वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी PTI ने इसका विरोध किया है। PTI नेता शेख वक्कास अकरम ने कहा ऐसे सीक्रेट सौदे से देश के हालात खराब हो सकते हैं। PTI ने मांग की कि सरकार अमेरिका के साथ हुए सौदों का पूरा ब्योरा जनता को बताए। PTI के नेता ने कहा कि संसद और लोगों को विश्वास में लेना चाहिए। हम देश के हितों के खिलाफ कोई समझौता बर्दाश्त नहीं करेंगे। USSM डिफेंस से जुड़े खनिज रिसाइकल करती है USSM कंपनी का कहना है कि यह सौदा खनिजों की खोज से लेकर रिफाइनरी बनाने तक सब कुछ कवर करता है। मिसूरी की यह कंपनी ऐसे खनिज बनाती और रिसाइकल करती है जो रक्षा, तकनीक और ऊर्जा के लिए जरूरी हैं। खेप में एंटीमनी, कॉपर कंसन्ट्रेट और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे नियोडिमियम व प्रेजियोडिमियम शामिल हैं। इससे पहले सितंबर में पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मुलाकात की थी। इस दौरान मुनीर ने ट्रम्प को रेयल मिनरल्स से भरा ब्रीफकेस दिखाया था। पाकिस्तान का दावा है कि उसके पास 6 ट्रिलियन डॉलर की खनिज संपदा है। वो चाहता है कि अमेरिकी निवेशक यहां इन्वेस्ट करें। पाकिस्तान का अमेरिका को बलूचिस्तान में पोर्ट बनाने का प्रस्ताव पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के सलाहकारों ने तीन दिन पहले ही अमेरिका से बलूचिस्तान में एक पोर्ट डेवलप करने का प्रस्ताव शेयर किया है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिकी निवेशक बलूचिस्तान के पसनी शहर में अरब सागर के किनारे एक नया पोर्ट डेवलप करके चलाएं। प्रस्ताव में साफ कहा गया है कि यह बंदरगाह सिर्फ व्यापार और खनिजों के लिए है। अमेरिका को यहां सैन्य बेस बनाने की इजाजत नहीं होगी। पासनी, ग्वादर पोर्ट (चीन का बंदरगाह) से सिर्फ 112 किमी दूर है। यह बंदरगाह अमेरिका को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिजों जैसे तांबा और एंटीमनी तक आसान पहुंच देगा। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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