निगम के बजट को लेकर इस साल अलग उम्मीदें हैं। क्योंकि 15 साल बाद निगम में भाजपा की सरकार आई और महापौर मीनल चौबे बजट पेश किया है। हालांकि पिछले साल का बजट 2000 करोड़ का था, मीनल ने अपने कार्यकाल का पहला बजट 1529 करोड़ का ही पेश किया। उन्होंने दावा किया है कि उन्हीं घोषणाओं को शामिल किया गया है जो एक साल के भीतर पूरी हो सकती हैं। भास्कर ने पिछले तीन साल के बजट की पड़ताल की। पता चला कि हर साल तीन-चार लुभावनी घोषणाएं की गईं लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया। तात्यापारा का चौड़ीकरण तो दूर, बच्चों का अप्पू घर, हर वार्ड में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और महिलाओं और युवाओं के रोजगार से जुड़ी योजनाओं तक को पूरा नहीं किया गया। ऐसी ही 15 लुभावनी अधूरी घोषणाओं की पड़ताल की जो सीधे लोगों की जरूरत से जुड़ी हैं। तात्यापारा चौड़ीकरण का मसला पिछले 15 साल से अटका है। पूर्व महापौर किरणमयी नायक से लेकर प्रमोद दुबे और एजाज ढेबर के कार्यकाल के सभी के बजट में इस महत्वाकांक्षी योजना को शामिल किया जाता रहा है। हर बार घोषणा होती रही और हर बार किसी ना किसी कारण से वह अधूरी रही। जिन योजनाओं को पूरा कर सकते हैं, किया मीनल
महापौर मीनल चौबे ने कहा कि हमारा विचार था केवल लोगों को लुभाने के लिए घोषणा नहीं करेंगे। बजट में उन्हीं योजनाओं को शामिल किया गया है, जो हम सालभर के भीतर पूरी कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हम पिछली बजट की अच्छी योजनाओं को भी शामिल नहीं करना चाहते। हम किसी योजना को सिर्फ इसलिए बजट में नहीं लाना चाहते कि उसे लाने से बजट का स्वरूप अच्छा दिखे। पिछले वर्षों के बजट की जो योजना अच्छी होगी और धरालत में लाने लायक होगी, उसे हम भविष्य के बजट में जरूर शामिल करेंगे। तात्यापारा रोड चौड़ीकरण शासन को करना है। मुख्यमंत्री ने चौड़ीकरण की घोषणा कर दी है। चौड़ीकरण का प्रस्ताव पिछले 15 साल से बजट में आ रहा है। स्वीकृति नहीं मिली, इसलिए योजना फंस गई : ढेबर
पूर्व महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि हमारे कार्यकाल में कई तकनीकी दिक्कतें थीं। केंद्र में भाजपा की सरकार थी। इस वजह से कई घोषणाओं को पूरा करने के लिए हमें अपेक्षाकृत बजट और स्वीकृति नहीं मिल पाती थी। इसके अलावा हमारे कार्यकाल का लगभग 3 साल कोरोना काल में गुजर गया। फिर भी हमने राज्य सरकार की मदद से बजट की कई योजनाओं को पूरा करने का प्रयास किया। अब इनके साथ कोई दिक्कत नहीं है। पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री उनके हैं। इसका फायदा शहर को मिलना चाहिए, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं है। लोगों को अपेक्षा थी कि बजट में कुछ नया होगा, पर ये हमारे बजट का कापी-पेस्ट ही है।