पिता की हत्या के बाद नीरज जादौन बने IPS:बीहड़ से निकला था होनहार इंजीनियर, 22 लाख का पैकेज छोड़ UPSC क्रैक किया

‘जब मैं छोटा था, बस पुलिस को जानता था। मैंने कभी भी IPS जैसा शब्द नहीं सुना। मुझे नहीं पता था कि SP भी कोई अफसर होता है। कभी नहीं सोचा था कि मुझे खाकी वर्दी पहननी है। मुझे इंजीनियर बनना था। जब मैं 25 साल का था, तब एक मनहूस रात ने मुझे जीवन भर का दर्द दे दिया। उस रात को आज तक नहीं भूल पाया हूं। मेरे पिता की गांव से 15 किलोमीटर दूर हत्या कर दी गई। वो एक शादी समारोह में गए थे। पुलिस ने एक आरोपी को बचाने का प्रयास किया। केस से नाम तक निकाल दिया। तरह-तरह की धमकियां मिलीं। इसके बाद मैंने ठान लिया कि पिता को इंसाफ दिलाऊंगा। कुछ ऐसा करूंगा कि पुलिस के पास पहुंचने वाले हर एक पीड़ित को इंसाफ मिले।’ यह कहना है IPS नीरज कुमार जादौन का। 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी नीरज कुमार जादौन इस समय हरदोई के एसपी हैं। सरेआम एक महिला से माफी मांगने और अपने एक्शन को लेकर चर्चा में हैं। हरदोई से पहले वह प्रयागराज, गाजियाबाद, अलीगढ़, हापुड़, बागपत और बिजनौर में तैनात रह चुके हैं। ढ़ाई लाख के इनामी को ढेर करने वाले इस आईपीएस अधिकारी ने हापुड़ में चर्चित गैंगरेप को सॉल्व किया। यूं तो इंटरनेट पर नीरज कुमार जादौन के जीवन की कई कहानियां चल रही हैं। लेकिन, हकीकत क्या है? कैसे उन्होंने UPSC एग्जाम पास किया? अपने पुलिस करियर में उन्होंने अब तक क्या कुछ हासिल किया? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज नीरज कुमार जादौन की कहानी 8 चैप्टर में पढ़ेंगे… नीरज कुमार जादौन अपनी लाइफ के पन्ने पलटते हैं। बताते हैं- मेरा गांव-घर जालौन जिले में है। यहां मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर बीहड़ इलाके में नौरेजपुर पड़ता है। यहीं हमारी खेती और जमीन है। पापा नरेंद्र सिंह जादौन पेशे से किसान थे। मां आशा देवी हाउस वाइफ। एक जनवरी 1983 मेरी डेट ऑफ बर्थ है। घर में सभी बताते थे कि मम्मी ने मेरा नाम नीरज रखा था। नीरज कुमार जादौन बताते हैं- मेरे दादा कम्बौज सिंह जादौन असिस्टेंट प्रिंटिंग मास्टर रहे हैं। पहले तो मैं गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा। लेकिन, फिर दादा मुझे लेकर कानपुर आ गए। यहां मैंने हिंदी मीडियम स्कूल में दाखिला लिया। मैंने 1999 में कानपुर से हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर यूपी बोर्ड से 75 प्रतिशत नंबर के साथ 10वीं पास की। 2001 में कानपुर से ही यूपी बोर्ड से 75.2 अंकों के साथ 12वीं पास की। उस समय यूपी बोर्ड में बहुत सख्ती होती थी। अखबार में रिजल्ट निकलता था। जब हाई स्कूल और इंटर का रिजल्ट आया, घर वाले बहुत खुश हुए। दादा मुझे हमेशा मोटिवेट करते थे। इंटर के बाद मेरा सपना था कि इंजीनियरिंग करूंगा। घर में भी सभी को इस ड्रीम के बारे में बता दिया था। नीरज कुमार जादौन बताते हैं- इंटर में अच्छे नंबर के बाद गांव-घर परिवार में चर्चा थी कि पढ़ने में टॉपर हूं। पापा भी चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। वाराणसी के IIT BHU से मैंने कंप्यूटर साइंस में बी-टेक की पढ़ाई शुरू की। 2005 में मेरा बी-टेक कम्प्लीट हो गया। उस समय घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। मैं बाहर पढ़ाई कर रहा था, मेरे भाई-बहन गांव के सरकारी स्कूल में। पापा ने लोन लेकर मुझे आगे बढ़ाया, पढ़ाया। बीटेक पूरा होने के बाद मुझे नोएडा में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब मिली। यहां कुछ दिन जॉब की। इसके बाद पुणे में एक जर्मन कंपनी थी, वहां 8 लाख रुपए सलाना के पैकेज पर जॉब मिली। साल 2008 में मुझे बड़ा अच्छा पैकेज मिला। यह बेंगलुरु में ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी में 22 लाख के पैकेज पर जॉब थी। जॉब लगने के बाद पापा के लिए गए लोन को चुकाया। पापा भी बहुत खुश थे। कहते थे कि हमारा बेटा जिम्मेदार है। नीरज बताते हैं- 6 दिसंबर 2008 का दिन मुझे ताउम्र याद रहेगा। मैं बेंगलुरु में ही था। मुझे रिश्तेदारों ने फोन किया। कहा- जल्दी घर आ जाओ। मैंने पूछा क्या हुआ। बताया गया- पापा की हत्या कर दी गई है। मैंने पूछा कि हुआ क्या है? तब घर वालों ने बताया- पापा के दोस्त के यहां शादी थी। घर से करीब 15 किमी दूर कार्यक्रम था। पापा वहीं अकेले गए थे। उस समय हमारा किसी से कोई विवाद नहीं था। लेकिन, पता नहीं क्यों और किस विवाद में उनकी हत्या कर दी गई। ये आज तक नहीं पता चल पाया। मम्मी ने नामजद केस दर्ज कराया। लेकिन उस समय पुलिस का रवैया ठीक नहीं था। पुलिस ने सही से एक्शन नहीं लिया। मर्डर जैसे संगीन मामले में नामजद आरोपी को बचाने में जुट गई। एक आरोपी को पकड़ लिया, लेकिन पुलिस ने दूसरे का केस से नाम ही निकाल दिया। इंसाफ के लिए पुलिस और अफसरों से गुहार भी लगाई। पिता को इंसाफ दिलाने के लिए अदालत में भी चक्कर काटने पड़े। लेकिन पुलिस का व्यवहार देखकर बहुत दुख हुआ। पुलिस से इंसाफ तो दूर उल्टा पुलिस आरोपियों की मदद कर रही थी। नीरज कुमार जादौन बताते हैं- हमारे घर-परिवार को आए दिन धमकियां मिलने लगी थीं। नामजद पक्ष के लोग हर दूसरे दिन धमका जाते थे। दादा भी रिटायर हो गए थे, तो गांव में ही रहते थे। यह जो कुछ भी हो रहा था, उससे मैं टूट चुका था। मैंने ठान लिया कि अब मैं पुलिस में बड़ा अधिकारी बनूंगा। कम से कम उन लोगों को इंसाफ दिलाऊंगा, जो पुलिस से उम्मीद लगाकर उनके पास जाते हैं। जब धमकियां मिलने लगीं, तो मम्मी, भाई बहनों के साथ गांव से शहर में आ गईं। हमने किसी को ये पता नहीं लगने दिया कि फैमिली कहां रह रही है। मैं अपनी जॉब करता रहा। दिन में नौकरी करता, समय मिलता तो पढ़ाई में जुट जाता। उन दिनों मैंने पुलिस की नौकरी के लिए सभी किताबें, अखबार और न्यूज पढ़ीं। पता चला कि UPSC एग्जाम पास करने के बाद महकमे में बड़ा अधिकारी बना जा सकता है। बस मेरा टारगेट यही था। मैंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। पहली बार एग्जाम दिया, इंटरव्यू तक पहुंचा। इसके बाद दूसरे एग्जाम में रैंक बहुत कम आई। लेकिन, मैंने हार नहीं मानी। मैंने तीसरे प्रयास में ठान लिया था कि इस बार एग्जाम क्रैक करना ही है। तीसरी बार में मैंने इंटरव्यू भी क्वालिफाई कर लिया। रिजल्ट आया, मैं 2015 बैच का IPS अधिकारी बन गया। सबसे पहले अपनी मम्मी को बताया। मम्मी बहुत खुश हुईं। उन्होंने आशीर्वाद देते हुए कहा- ईमानदारी ही सब कुछ है। इसी वजह से आज तुम सफल हुए हो। बहुत मेहनत और मन लगाकर जिम्मेदारी को निभाना। नीरज कुमार बताते हैं- ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मुझे 2017 में पहली पोस्टिंग प्रयागराज में मिली। यहां महिलाओं और छात्राओं से छेड़छाड़ की घटनाएं रोकने के लिए मैं खुद स्कूल कॉलेजों के बाहर सादे कपड़ों में जाता था। एंटी रोमिया स्क्वायड की अलग-अलग टीमें बनाईं। पहले वाच किया जाता कि शोहदे हैं, यहां आने-जाने वाले युवक। जो भी युवतियों से छेड़छाड़ करते उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। मर्डर और दूसरे क्राइम के केस की बारीकी से इन्वेस्टिगेशन की। ट्रेनिंग के समय जो कुछ बताया गया, उसे जमीन पर उतारने का समय था। पहली पोस्टिंग में जब मैं क्राइम स्पॉट पर जाता, तब सीनियर अधिकारियों का बहुत सपोर्ट मिलता। किसी भी क्राइम को सॉल्व करने के लिए सबसे जरूरी एविडेंस होते हैं। क्राइम स्पॉट और लोगों के बयान बहुत मायने रखते हैं। मैं इन्हें नोट डाउन करता, फिर साथी पुलिस वालों से पूरी रिपोर्ट पर मिलकर काम करता। इस तरह कई केस सुलझाए गए। प्रयागराज के बाद मुझे अलीगढ़ जिले में तैनाती मिली। यहां ASP रहते हुए गभाना सर्किल में सीओ की जिम्मेदारी दी गई। यह क्षेत्र बुलंदशहर जिले के अरनियां से लगता है। यहां गो तस्करी की घटनाएं अधिक होती थीं। गोवंश को बचाने के लिए पूरे जिले में अभियान चला दिया। कहीं सादा कपड़ों में पुलिस तैनात की, तो कभी रात में मैं खुद देहात और मेन इलाकों में पहुंच जाता था। एक रोज रात में सूचना मिलने के बाद हम लोगों ने छापेमारी की। गो तस्कर हथियारों से लैस थे। उन लोगों ने पुलिस टीम पर फायरिंग करनी शुरू कर दी। यह पहला वाकया था, जब सामने से गोलियां चल रहीं थीं। पहली बार देखा कि मुठभेड़ में क्या होता है। गो तस्करों ने पुलिस की गाड़ियां तक तोड़ दी थी। मैंने और साथियों ने मिलकर मोर्चा संभाला। सभी गो तस्करों का पीछा किया। जवाबी कार्रवाई में हमने भी गोलियां चलाईं। इन्हें दौड़ाकर पकड़ा गया। पूरे अभियान में हमने अलीगढ़ में 260 गोवंशों को कटने से बचाया। तस्करों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की। गांव-गांव मुनादी करवाते हुए गोकशी पर लगाम लगाया। नीरज कुमार जादौन बताते हैं- जुलाई 2019 की बात है, मैं SPRA गाजियाबाद था। हमारे पास सूचना आई। पता चला- मसूरी थाना क्षेत्र के न्यू शताब्दीपुरम में सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया है। मैं तुरंत एक्टिव हुआ। मौके पर पहुंचा। हमने फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड भी मौके पर बुला लिए। इस केस में 5 लोगों को मारा गया था। केस की अलग-अलग एंगल से जांच-पड़ताल की गई। पूरा क्राइम सीन देखा, पूछताछ की। पता चला 4 लाशों में महिला और उसकी तीन बेटियां हैं। एक आदमी की लाश जो पंखे से लटकी मिली थी, वह महिला का पति था। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में जो आशंका जताई गई, वो कॉमन थी। सभी यही कह रहे थे कि पति ने पहले पत्नी और तीन बच्चों को मारा और फिर सुसाइड कर लिया। लेकिन, मुझे कुछ अलग लग रहा था। इस केस की तह तक जाने के लिए मैंने टीम बनाकर जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल खंगाली गई। पुलिस ने सीडीआर के आधार पर इस केस के आरोपी कपिल को अरेस्ट किया। उससे पूछताछ की गई, पहले तो वह पुलिस को गुमराह करता रहा। जब पुलिस ने पूछा कि महिला संगीता से क्या रिश्ता है तो यह युवक चुप्पी साध गया। मरने वाली संगीता के कपिल से संबंध थे, संगीता अपने प्रेमी के साथ रहने की जिद पर अड़ी थी। इसी बात पर संगीता के पति प्रदीप का कई बार घर में विवाद भी हो चुका था। इसी के चलते प्रदीप ने अपनी पत्नी और तीन बेटियों की हत्या की है, जिसके बाद आरोपी ने खुद सुसाइड किया। इस केस को सॉल्व करते हुए कपिल को अरेस्ट किया। यह घटना उस समय सबसे चर्चित रही। नीरज जादौन बताते हैं कि फरवरी 2021 की बात है, मैं एसपी हापुड़ था। पुलिस को सूचना मिली की करीब 30 साल की एक महिला को गाजियाबाद से ऑटो में अपहरण करके लाया गया है। इसके बाद गाजियाबाद की सीमा पार करने के बाद हापुड़ के पिलखुआ के पास फेंक दिया गया। इस मामले में थाना पुलिस के अलावा एक महिला पुलिस की टीम भी मौके पर भेजी। पीड़िता से बातचीत के बाद ही यह साफ हो गया था कि महिला के साथ दरिंदगी की गई है। पूरे मामले की जानकारी गाजियाबाद पुलिस को दी गई, लेकिन पिलखुआ थाने में तत्काल केस दर्ज किया गया। महिला का मेडिकल परीक्षण कराया गया। इस केस के खुलासे के लिए हापुड़ से लेकर गाजियाबाद तक पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे चैक किए। ऑटो को लेकर भी सत्यापन अभियान शुरू करते हुए पहचान की गई। इस तरह से पुलिस लगाई कि ऑटो चालकों को संदेह न हो। शाम के बाद रात में वह खुद भी अलग अलग स्थानों पर सादे कपड़ों में पहुंचे। जहां ऑटो और आरोपियों की पहचान पुलिस ने कर ली। पता चला कि चार युवक गाजियाबाद के मसूरी से ऑटो में इस तरह की पूर्व में भी घटनाएं कर चुके हैं, लेकिन बदनामी के डर से पुलिस से शिकायत नहीं की। पुलिस ने महिला से गैंगरेप के मामले में चारों को अरेस्ट करते हुए खुलासा किया। बाद में कई और महिलाओं ने गोपनीय तरह से जानकारी दी कि यह लोग आते जाते ऑटो से इस तरह से महिलाओं पर गलत नजर रखते थे। नीरज कुमार जादौन बताते हैं- अप्रैल 2023 की बात है, मैं एसपी बिजनौर था। यूपी पुलिस और STF ढाई लाख रुपए के इनामी आदित्य राणा को तलाश रही थी। इस कुख्यात पर बिजनौर, मुरादाबाद, संभल में करीब 45 मुकदमें दर्ज थे। रात में पुलिस को सूचना मिली की पुलिस कस्टडी से फरार ढाई लाख का इनामी आदित्य राणा स्योहारा क्षेत्र के बुढ़नपुर के पास छुपा हुआ है। रात में पुलिस टीम के साथ इनामी बदमाश की घेराबंदी की। जहां इनामी बदमाश ने पुलिस से घिरता देखकर फायरिंग कर दी, इस घटना में एक सिपाही व दरोगा भी गोली लगने से घायल हुए। पुलिस की जवाबी फायरिंग में इनामी बदमाश ढेर हो गया। यह कुख्यात पुलिस कस्टडी से 24 अगस्त 2022 को फरार हुआ था। घटना उस समय की थी, जब बिजनौर कोर्ट से पेशी के बाद लखनऊ लौटते समय शाहजहांपुर में पुलिस को चकमा देकर भाग निकला था। हरदोई में भी लगातार छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने के लिए अभियान चलाया। स्कूल-कॉलेजों के बाहर सुबह खुद भी पुलिस की प्रणाली देखी। जहां महिला हेल्प डेस्क की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। अचीवमेंट्स यह खबर भी पढ़ें झांसी में पति-पत्नी को तलवार से काटा: घर के बाहर युवक पर हमला किया, बचाने आई पत्नी की भी हत्या की, फिर सरेंडर किया झांसी में मंगलवार सुबह करीब 8 बजे पति-पत्नी की हत्या कर दी गई। आरोपी पड़ोसी तलवार और फरसा लेकर घात लगाकर बैठा था। जैसे ही युवक दूध बेचकर घर पहुंचा तो सीधे हमला कर दिया। मरने तक उस पर वार करता रहा। जब चीख सुनकर पत्नी बचाने दौड़ी तो उसे भी मार डाला। पढ़ें पूरी खबर …

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