राजस्थान के दौसा जिले में बोरवेल में गिरे आर्यन (5) को 2 दिन बाद भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। आंखों के सामने बोरवेल मे बेटे को गिरता देखने वाली मां की आंखें पथराई हुई हैं। दूसरी तरफ पिता बार-बार दूध की बोतल लेकर कुएं के पास जा रहे हैं, न जाने कब 147 फीट पर फंसे बेटे आर्यन को पिलाना पड़ जाए। मंगलवार की रात पूरी सर्दी वो दूध से भरी बोतल लेकर आस-पास बैठे रहे। पूछने पर कहते हैं- मेरा बेटा इतने दिनों से भूखा-प्यासा है। कोई तो अंदर दूध की बोतल पहुंचाए। पता नहीं वो किस हाल में है। जैसे-जैसे समय निकलता जा रहा है, माता-पिता की धड़कने तेज होती जा रही है, लेकिन उम्मीद अब भी है कि आर्यन सही सलामत बाहर निकाल लिया जाएगा। जल्द ही उसकी चहलकदमी से घर में रौनक होगी। सवाई माधोपुर से मिट्टी में सुरंग बनाने के लिए मशीन से काम जारी है। आर्यन को बचाने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच भास्कर टीम ने माता-पिता से बात की…. मशीन निकालनी थी, इसलिए बोरवेल का मुंह खुला छोड़ दिया आर्यन के पिता जगदीश प्रसाद मीणा(45) ने बताया- तीन साल पहले बोरवेल खुदवाई थी। उन्होंने बताया कि एरिया में कई इलाकों में काफी पानी है लेकिन उनके खेत में पानी कम है। बोरवेल में 160 फीट खुदाई के बाद पानी आया था। लेकिन काफी कम मात्रा में पानी था। ऐसे में बोरवेल को गहरा करने के लिए करीब 15 दिन पहले ही इसमें ढोली मशीन से मिट्टी खुदाई की जा रही थी। लेकिन इस दौरान मशीन का तार टूट गया और मशीन अंदर ही फंस गई। अंदर पानी का पाइप भी फंसा गया था। यह होने के बाद मशीन वाले ने कहा था कि इसको निकलवा कर भिजवा देना। तब से यह मशीन बोरवेल में ही फंसी हुई थी। जगदीश प्रसाद का दावा है कि उन्होंने बोरवेल के मुंह को ढ़क भी दिया था। लेकिन पिछले दो दिन पहले ही उन्होंने इसे वापस खोल दिया। जगदीश प्रसाद ने बताया कि वह अंदर फंसी मशीन को निकलवाना चाहते थे इस वजह से मजदूरों को लाकर मौका दिखा रहे थे। सोमवार को दोपहर करीब दो बजे वह बाजार के लिए निकले थे। आर्यन को छोड़कर सभी बच्चे स्कूल थे। बाजार जाते ही घटना को लेकर कॉल आ गया जगदीश प्रसाद ने बताया कि सोमवार को दोपहर में वह बाजार गए थे। बाजार से घरेलू सामान लेकर आना था। इसके अलावा बोरवेल में फंसी मशीन को निकालने को लेकर भी मिस्त्री से बात करनी थी। इसी वजह से उस दिन भी बोरवेल खुला था। जगदीश के अनुसार वह बाजार से सामान की खरीदारी करने के बाद मिस्त्री से बात कर रहा था। मशीन को बाहर निकालने को लेकर बातचीत की थी। इसी दौरान घर से छोटे भाई का कॉल आया। मोबाइल साइलेंट पर था तो पहले तो पता नहीं लगा। शाम करीब 3.50 पर छोटे भाई भरत का फिर से कॉल आया तो उससे बात हुई। तब उसने बताया कि आर्यन बोरवेल में गिर गया है। इसके बाद मैं तुरंत घर पहुंचा। तब तक आस पास की ढाणी के लोग भी मौके पर इकट्ठा हो गए थे। स्थानीय पुलिस आधे घंटे में मौके पर पहुंच चुकी थी और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंची थी। पिता बोले- बेटा सही सलामत आ जाए सबका आभारी रहूंगा जगदीश प्रसाद ने कहा- मुझे क्या पता था कि यही बोरवेल एक दिन मेरे बेटे के लिए ही मुसीबत बन जाएगा, उसकी जान पर आफत बन जाएगा। अगर ऐसी भनक होती तो बिना पानी खेती छोड़ देते। कुछ और काम कर लेता, बोरवेल नहीं करवाता। हमेशा बोरवेल का मुंह ढक कर रखते थे लेकिन क्या पता उस दिन क्या किस्मत को मंजूर था। बात करते करते जगदीश की आंखें भर आती हैं। कहते हैं कि मेरा बेटा सही सलामत आ जाए। सोमवार से उसने कुछ नहीं खाया है। अंदर भूखा प्यासा है। मासूम बच्चा है, कैसे भूखा प्यासा रह रहा है। बिना मम्मी पापा के नहीं रहता था, लेकिन दो दिन से हमसे दूर है। मेरे बेटे को सही सलामत बाहर निकाल दो, मैं पूरी रेस्क्यू टीम का हमेशा आभारी रहूंगा। मां बोली- गिरते हुए बेटे के हाथ नजर आए, दौड़कर गई लेकिन तब तक नीचे जा चुका था आर्यन की मां गुड्डी बाई की आंखों के सामने ही उसका बेटा डेढ़ सौ फीट नीचे जा गिरा था। गुड्डी बाई ने बताया कि सोमवार को दोपहर में वह खेत में काम कर रही थी। आर्यन घर में अपने चाचा भरत के साथ खेल रहा था। भरत उसके लिए अमरूद लेकर आया था। उसने अमरूद खाया और उसके बाद खेलते-खेलते खेत तक उसके पास आ गया। कुछ देर वह उसके आस पास खेलता रहा। जब वापस मकान की तरफ जाने लगा उसे ध्यान ही नहीं था कि नीचे बोरवेल है। वो उसमें जा गिरा। गुड्डी बताती हैं- जब आर्यन घर की तरफ जा रहा था तब मैंने उसे मुड़कर देखा। देखते ही होश उड़ गए, आर्यन बोरवेल के गड्ढे में गिर रहा था। मुझे तो उसके दोनों हाथ नजर आए। मैं चिल्लाते हुए उसके पकड़ने भागी। लेकिन तब तक वह नीचे जा गिरा था। गुड्डी बाई ने शोर मचाया तो परिवार के अन्य लोग इकट्ठा हो गए। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। गुड्डी ने कहा- आर्यन पांच बच्चे-बच्चियों में सबसे छोटा था। पिता ने बताया कि उसके स्कूल में डालना था लेकिन उसकी उम्र अभी पूरी पांच साल नहीं हुई थी। साथ ही उसका आधार कार्ड नहीं बना था। एक दो दिन में उसे साथ ले जाकर आधार कार्ड बनवाने वाले थे। मैं बस इतनी गुजारिश करती हूं…मेरा बेटा मुझे वापस सलामत लौटा दो। पता नहीं कैसे वह अंदर फंसा हुआ है, वह मेरे साथ खेलता था, मेरे से दूर नहीं जाता था अब दो दिन से मुझसे दूर है। चाचा बोले- मेरे पास से गया और 5 मिनट में हादसा चाचा भरत ने बताया कि आर्यन मेरे साथ ही कमरे में बैठा था। वह खेल रहा था, उसने अमरूद मांगकर खाए। इसके बाद वह खेलता खेलता अपनी मां के पास खेत में चला गया। सिर्फ पांच मिनट में ही यह हादसा हो गया। चाचा ने आर्यन का एक वीडियो दिखाते हुए कहा कि वह घर में सबका चहेता है। इस वीडियो में आर्यन हंसता खेलता नजर आ रहा है। वह अपनी मां के साथ बैठा है और मुस्कुरा रहा है। यह वीडियो देख चाचा, पिता सब बार बार दुखी हो रहे हैं। इधर, हादसे की जानकारी के बाद जगदीश के रिश्तेदारों का भी जमावड़ा है। वहीं ग्रामीण भी सुबह से लेकर शाम तक घटनास्थल पर मौजूद रहकर हर संभव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। पिता जगदीश ने बताया कि जब भी रेस्क्यू कर रहे लोगों से बच्चे के बारे में पूछते हैं…सब यही कहते हैं कि बच्चा ठीक है… जल्द ही बाहर निकाल लेंगे। उन्होंने कहा कि सभी मेरे बेटे के बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। बच्चे के सिर पर मिट्टी जमा, मूवमेंट नहीं इधर, टीमें सोमवार शाम से लगातार बच्चे के रेस्क्यू का प्रयास कर रही हैं। अंदर जो कैमरा डालकर देखा गया है उसमें बच्चा ढोली मशीन के बीच फंसा नजर आ रहा है। पूरा सिर मिट्टी से ढका हुआ है। आर्यन को बाहर निकालने के लिए देसी जुगाड़ की मदद ली जा रही है। जिसके तहत अंदर रस्सी और रिंग डाली गई है और उसके बच्चे के हाथों में फंसाकर बाहर निकालने की कोशिश हो रही है। लेकिन यह कोशिश कई बार नाकाम हो चुकी है। ऐसे में अब बोरवेल के समीप ही सुरंग खोदी जा रही है, ताकि जैसे भी हो, बच्चे तक पहुंचा जा सके। रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े पल-पल के अपडेट के लिए यह भी पढ़ेंः 44 घंटे से बोरवेल में फंसा 5 साल का आर्यन:मां ने प्रशासन पर लगाए आरोप; कोयला माइनिंग वाले तरीके से बच्चे को निकालने की कोशिश