पीपलखूंट में जल संकट गहराया:कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन ने जल संरक्षण कार्यों की मांग की

पीपलखूंट ब्लॉक के पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी कटाव और वर्षा जल के तेज बहाव के कारण किसानों को सिंचाई जल की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस जल संकट को देखते हुए कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन, पीपलखूंट ने जल संरक्षण कार्यों को लेकर पंचायत समिति से लेकर जिला स्तर तक पैरवी तेज कर दी है। संगठन के प्रतिनिधियों ने बताया कि पीपलखूंट के अधिकांश गांव पहाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं, जिसके कारण वर्षा का पानी रुक नहीं पाता और खेतों की उपजाऊ मिट्टी भी बह जाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए मेड़बंदी, कुएं, एनीकट, चेक डैम और तालाबों का गहरीकरण अत्यंत आवश्यक है। संगठन का सुझाव है कि यदि इन जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण और गहरीकरण मनरेगा योजना के तहत प्राथमिकता से किया जाए, तो इससे न केवल जल संरक्षण संभव होगा, बल्कि बड़ी संख्या में ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा। संगठन ने प्रधान एवं पंचायत समिति पीपलखूंट को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें पूरे ब्लॉक में जल संरक्षण ढाँचों के निर्माण और गहरीकरण की कार्ययोजना बनाकर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है। इस दौरान वाग्धारा द्वारा गठित कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन पीपलखूंट के अध्यक्ष धनराज निनामा, जीवराज, अमरा और अन्य सदस्य मौजूद रहे। संस्था के संगठन सहजकर्ता कालूराम चरपोटा और छगन निनामा भी उपस्थित थे। संगठन ने बताया कि वह पिछले कई महीनों से इस विषय पर सरकार, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ संवाद स्थापित कर लगातार प्रयास कर रहा है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इन कार्यों को प्राथमिकता से नहीं लिया गया, तो आने वाले वर्षों में पीपलखूंट क्षेत्र में जल संकट और अधिक गहरा सकता है। वहीं, जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण से खेतों में नमी बनी रहेगी, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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