पूर्व आदिवासी अध्यक्ष की मौत पर हंगामा,दो-दिन बाद अंतिम संस्कार:दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर NH-30 पर चक्काजाम, जेल प्रशासन पर लगाए आरोप

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और जनपद पंचायत चारामा के पूर्व अध्यक्ष जीवन ठाकुर का अंतिम संस्कार दो दिन बाद 6 दिसंबर को उनके गृह ग्राम मायना में किया गया। इसके पहले, जीवन ठाकुर की रायपुर सेंट्रल जेल में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में भर्ती किया गया था। 4 दिसंबर गुरुवार सुबह लगभग 8 बजे उनकी मौत हो गई थी। इस पर परिजनों, आदिवासी समाज और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष की मौत को संदिग्ध बताते हुए जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। संदिग्ध परिस्थितियों में मौत पर आदिवासी समाज में आक्रोश जीवन ठाकुर की रायपुर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद क्षेत्र में आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया। इस मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर 5 दिसंबर को चारामा थाना के सामने नेशनल हाईवे-30 पर समाज ने करीब छह घंटे तक चक्काजाम किया, जिससे यातायात पूरी तरह बाधित रहा। इस चक्काजाम के कारण नेशनल हाईवे-30 पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। बढ़ती ठंड के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने अलाव जलाकर और भोजन-पानी की व्यवस्था कर देर रात तक धरना जारी रखा। प्रशासन की समझाइश के बाद रात 11 बजे जाम समाप्त हुआ और लगभग 1 बजे यातायात बहाल हो सका। कांकेर से रायपुर जेल किया था शिफ्ट बतादें कि घटना वाले दिन से दो दिन पहले उन्हें कांकेर जिला जेल से रायपुर केंद्रीय जेल भेजा गया था। परिजनों का आरोप है कि जीवन ठाकुर को रायपुर सेंट्रल जेल बिना किसी पूर्व सूचना के भेजा गया। उनकी तबीयत बिगड़ने और मौत की जानकारी भी देर से दी गई। समाज ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की है। परिजनों ने जेल प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप मामला तब बिगड़ा जब 2 दिसंबर को उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के रायपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। परिवार का कहना है कि न तो स्थानांतरण की जानकारी दी गई, न तबीयत बिगड़ने की और न ही अस्पताल में भर्ती कराए जाने की। वायरलेस से मिली जानकारी के अनुसार, 4 दिसंबर की सुबह 4:20 बजे उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर में भर्ती कराया गया, जहां सुबह 7:45 बजे उनकी मौत हो गई। परिवार को इस बारे में शाम लगभग 5 बजे सूचना मिल पाई। समाज ने की मजिस्ट्रियल जांच की मांग परिजनों और समाज की मुख्य मांगें हैं कि पूरी घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराई जाए, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो, मेडिकल रिकॉर्ड और पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए, पोस्टमार्टम परिवार की उपस्थिति में हो और परिवार को क्षतिपूर्ति दी जाए। समाज ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों में दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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