पूर्व मंत्री भगत बोले- सरकार ने किया आदिवासियों का अपमान:विश्व आदिवासी दिवस की उपेक्षा का लगाया आरोप, कहा- राजनीति की भेंट चढ़ गया आयोजन

छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरजीत भगत ने प्रदेश सरकार पर आदिवासियों के अपमान का आरोप लगाया है। भगत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस राजनीति की भेंट चढ़ गया। न तो आयोजन हुए और न ही मुख्यमंत्री और मंत्रियों की सहभागिता रही। प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाद भी आदिवासियों का शोषण हो रहा है, उनकी आजीविका छीनी जा रही है। विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन 9 अगस्त को किया गया था। पूर्व मंत्री भगत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भाजपा के इस सरकार में मुख्यमंत्री के आदिवासी होते हुए भी आयोजन में उनकी कोई भूमिका नहीं रही। मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने आयोजन से खुद को अलग रखा। यह आदिवासियों का घोर अपमान है। आदिवासियों पर अत्याचार, विष्णुदेव बने मौनी बाबा
अमरजीत भगत ने कहा कि आदिवासियों के शोषण, अपमान और अत्याचार पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुए सीएम साय मौनी बाबा बने हुए हैं। शायराना अंदाज में अमरजीत ने कहा- ” गैरों से क्या शिकवा, हमें अपनों से शिकायत है।” शिक्षा, जल, जंगल, ज़मीन पर हमला
पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि भाजपा सरकार लगातार आदिवासी क्षेत्रों के स्कूल बंद कर रही है। आज अकेले छत्तीसगढ़ में 10,000 से अधिक स्कूल बंद किए जा रहे हैं। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि आदिवासी बच्चों के भविष्य के दरवाजे बंद करने की साजिश है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में केंद्रीय वन अधिनियम के तहत आदिवासी क्षेत्रों में बसाहट को कानूनी मान्यता दी गई थी, मगर अब बड़े पैमाने पर इन्हें ‘अवैध कब्ज़ा’ घोषित किया जा रहा है। अमरजीत भगत ने कहा कि हसदेव, तमनार और बस्तर में हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करा भाजपा सरकार अपने ही राज्य में हरे-भरे जंगल उजाड़ रही है। यह सिर्फ पेड़ काटना नहीं, बल्कि आदिवासियों के जीवन, संस्कृति और रोज़गार पर सीधा हमला है। कांग्रेस ने किया उपकृत, उजाड़ रही भाजपा पूर्व मंत्री ने कहा कि आदिवासियों की जमीनों पर बेतहाशा माइनिंग हो रही है। इसके बदले में न तो उन्हें सही मुआवज़ा मिल रहा है, न स्थायी रोज़गार। अमरजीत भगत ने कहा कि कांग्रेस शासन ने आदिवासियों को शिक्षा और बसाहट का अधिकार दिया। हमने स्कूल खोले, वन क्षेत्र में बसाहट को कानूनी दर्जा दिलाया और वन संसाधनों पर उनका हक़ सुनिश्चित किया। लेकिन भाजपा सरकार ने इन्हें बंद करने और खत्म करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। यह सरकार आदिवासी विरोधी है।

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