भास्कर न्यूज | बालोद जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम दुधली(मालीघोरी) में संचालित हो रहे पॉलीटेक्निक कॉलेज के बगल में 100 स्टूडेंट्स के लिए 1.94 करोड़ रुपए की लागत से छात्रावास तैयार हो चुका है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक संबंधित छिटपुट कार्य जारी है। प्रबंधन का दावा है कि नया सत्र से स्टूडेंट्स को छात्रावास की सौगात मिल जाएगी। हालांकि पीडब्ल्यूडी अब तक हैंडओवर नहीं कर पाई है। कब तक हैंडओवर प्रक्रिया पूरी होगी, इस संबंध में भी कोई बता नहीं पा रहे है। शासन स्तर से छात्रावास भवन निर्माण के लिए राशि की मंजूरी तीन साल पहले मिल गई थी। प्रबंधन के अनुसार 20 लाख रुपए की लागत से पार्किंग शेड लगाने का कार्य पूरा हो चुका है लेकिन छात्रावास की सुविधा मिलने में देरी हो रही है। कब तक तैयार हो पाएगा, इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के ईई, एसडीओ, इंजीनियर बता नहीं पा रहे है। शासन की ओर से मार्च 2022 में राशि स्वीकृति हुई थी। पीडब्ल्यूडी की ओर से टेंडर व अन्य विभागीय प्रक्रिया पूरी करने के बाद एजेंसी तय कर काम शुरू कराया गया। जानिए, बालोद से 10 किलोमीटर की दूरी पर है कॉलेज पॉलीटेक्निक कॉलेज का लगभग 50 कमरों वाली तीन मंजिला बिल्डिंग 9 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है। लेकिन छात्रावास की सुविधा नहीं मिलने से किराए के मकान पर स्टाफ व स्टूडेंट्स को आश्रित होना पड़ रहा है। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार दुधली में जिस स्थान पर बिल्डिंग बना है, वह जिला मुख्यालय बालोद से 10 किमी और बालोद-डौंडीलोहारा मुख्य मार्ग से एक किमी दूर है। ऐसे में अभी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रावास (हॉस्टल) बनने से स्टूडेंट्स को राहत मिलेगी, हॉस्टल से कॉलेज आने-जाने में सहूलियत होगी। वर्तमान में छात्रावास नहीं होने से अधिकांश स्टूडेंट्स बस या बाइक के माध्यम से आना-जाना कर रहे हैं। पांच साल तक धमतरी में हुआ इस कॉलेज का संचालन कॉलेज प्रबंधन के अनुसार तीन मंजिला बिल्डिंग मंे ऑफिस कक्ष, प्रयोगशाला सहित कुल 50 रूम है। जो पर्याप्त है। जिले का पॉलीटेक्निक कॉलेज मालीघोरी से 55 किमी दूर धमतरी मंे 5 साल तक संचालित हुआ। दरअसल स्वीकृति के बाद भी यहां नई बिल्डिंग तैयार नहीं हो पाई थी इसलिए आनन-फानन में धमतरी में संचालन की मंजूरी शासन स्तर से दी गई थी। राज्य शासन की ओर से घोषणा अनुरूप 2015 में ही पॉलिटेक्निक कॉलेज को बजट में शामिल कर राशि स्वीकृत कर दी थी लेकिन जमीन के फेर में 2015 से 2018 तक लगभग चार साल तक मामला अटका रहा। कभी पथरीली जमीन मिली तो कभी जब जमीन मिली