पॉलीथिन की रिसाइकलिंग से कूड़ा घटेगा, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट हो

वरियाणा डंप का मुद्दा जालंधर में सभी मुद्दों से बड़ा है। साल 2017 में निगम चुनाव में सफाई न होना बड़ा मुद्दा रहा। उस समय वरियाणा डंप 30 फीट ऊंचा था। अब ये 62 फीट हो चुका है। कूड़े का पहाड़ लगभग साढ़े सात लाख एमटी से बढ़कर 15 लाख हो चुका है। स्मार्ट सिटी के तहत यहां बायोमाइनिंग से पुराने कूड़े को खत्म करने का प्लान उसी समय से चींटी चाल से कागजों में चल रहा है। बायोमाइनिंग में कूड़े को छाना जाता है। गलनशील कूड़े को बैक्टीरिया के छिड़काव से खत्म किया जाता है, जबकि सॉलिड वेस्ट को अलग से खत्म किया जाता है। जालंधर सिटी की सड़कें कूड़े से भरी रहती हैं। वजह- वरियाणा डंप पर कूड़ा फेंकने को जगह कम है। बरसात में कूड़े में पानी भरा होता है, जिससे ट्रक ऊपर नहीं चढ़ पाते। ऐसे में सफाई ठप हो जाती है। अब चुनाव में फिर सफाई मुद्दा है। इंजी. निवाजिश महाजन, क्रास लॉक के इनवेंटर वरियाणा डंप में फेंकने से पहले सॉलिड वेस्ट की सेग्रीगेशन करनी हेगी। इसमें मेटल, ग्लास व बाकी मैटिरियल होते हैं। फिर पुराने कूड़े को बायोमाइनिंग से छानकर डंप का हल किया जाएगा। दूसरा पहलू ये है कि प्लास्टिक वेस्टेज की रिसाइकलिंग नहीं हो रही है। रोजाना जो कूड़ा जमा होता है, इसमें 25 फीसदी कूड़ा पॉलीथिन ही है। इसमें हैंडबैग, चिप्स आदि के पैकेट और प्लास्टिक शीट शामिल हैं। रैग पिकर केवल सॉलिड प्लास्टिक को उठाते हैं। वह उक्त तीनों चीजों को नहीं उठाते हैं। वजह – रिसाइकलिंग बैन हो गई। जब पॉलीथिन पर बैन लगा तो इसे रिसाइकल करने वाली यूनिटें भी बंद हुईं। अब कचरे के ढेर बड़े हो रहे हैं। पॉलीथिन बैग को रिसाइकिल करके प्लास्टिक दाना बनता है, इससे अलग-अलग प्रोडक्ट बनते हैं। पॉलिथिन बैन इसका हल नहीं, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट करनी होगी।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *