श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को पानी पिलाने वाले ड्राइवर सत्यनारायण गुर्जर उर्फ सत्तू को पार्क प्रबंधन ने हटा दिया है। साथ ही ट्रैकिंग टीम के प्रभारी और दूसरे सदस्यों को नियमों का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया है। पार्क प्रबंधन की तरफ से कहा गया है कि ट्रैकिंग टीम को चीतों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है। स्टाफ ने न केवल इसकी अवहेलना की बल्कि वीडियो बनाकर मीडिया में भी साझा कर दिया। यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। घटना 4 अप्रैल को सुबह की है। कूनो नेशनल पार्क की अगरा रेंज में चीता ज्वाला और उसके शावक मानव बस्ती के पास दिखाई दिए थे। उन्हें जंगल की ओर भेजने के लिए अतिरिक्त फील्ड स्टाफ को बुलाया गया। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात निजी ड्राइवर ने स्टील की परात में भरकर चीतों को पानी पिलाया। वह लंबे समय तक चीतों के पास ही खड़ा रहा। घटना का वीडियो भी सामने आया था। इसमें ज्वाला अपने चार शावकों के साथ पानी पीती दिख रही है। घटना की तीन तस्वीरें… चीतों को अंग्रेजी में आवाज दी थी
वीडियो में दिख रहा है कि ट्रैकिंग टीम में शामिल निजी ड्राइवर (चीता मित्र) सत्यनारायण केतली और परात लेकर पहुंचा। उसने परात में पानी भरा और शिकार के बाद आराम कर रहे चीतों को आवाज दी। चीतों को अंग्रेजी में ‘COME’ कहकर बुलाया। आवाज सुनते ही ज्वाला और उसके चारों शावक फौरन वहां पहुंच गए और पानी पीने लगे। चीता फैमिली ने इससे ठीक पहले बकरियों का शिकार किया था। कूनो में घूम रहे 17 चीते, क्षेत्र बढ़ा रहे
वर्तमान में कूनो के खुले जंगल में 17 चीते विचरण कर रहे हैं। ये चीते लगातार अपना क्षेत्र बढ़ा रहे हैं और सक्रिय रूप से शिकार कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से चीतों की गतिविधियों के कई वीडियो सामने आए हैं। इनमें चीते कभी हिरणों के झुंड का शिकार करते दिखे, तो कभी बकरियों पर हमला करते दिखते हैं। ट्रैकिंग टीम के साथ चीतों की सुरक्षा में जुटे चीता मित्र अब चीतों को पहचानने लगे हैं। चीते भी उनकी कमांड समझने लगे हैं। । शहर में घुसी थी चीता फैमिली, भीड़ ने पत्थर मारे
करीब 13 दिन पहले कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकले 5 चीतों पर ग्रामीणों ने लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला कर दिया था। घटना का वीडियो भी सामने आया था। मौके पर मौजूद वन विभाग की रेस्क्यू टीम ग्रामीणों से चीतों से दूर रहने को कहती रही, लेकिन वे नहीं माने। पहली बार पार्क की सीमा से बाहर आई थी चीता फैमिली
दरअसल, डेढ़ महीने पहले खुले जंगल में छोड़ी गई मादा चीता ज्वाला और उसके 4 शावक पहली बार पार्क की सीमा से बाहर आए थे। ये चीते वीरपुर तहसील के गांव श्यामपुर के पास देखे गए। वे निर्माणाधीन श्योपुर-ग्वालियर ब्रॉडगेज रेल ट्रैक से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर थे। चीतों ने गाय पर झपट्टा मारा तो ग्रामीणों ने पत्थर मारे
पांचों चीते कूनो सायफन के पास से होते हुए कूनो नदी में पहुंचे थे। वे निर्माणाधीन रेलवे पुल के नीचे काफी देर तक बैठे रहे। इस दौरान कूनो सायफन से गुजरने वाले राहगीरों की भीड़ चीतों को देखने के लिए जमा हो गई। मादा चीता और शावक एक-एक कर रास्ता पार कर रहे थे, तभी उन्होंने गाय पर झपट्टा मारा। चीता और शावकों को भगाने के लिए ग्रामीण लाठी लेकर दौड़े और पत्थर मारना शुरू कर दिए। चीता ज्वाला काफी देर तक गाय का गला पकड़े रही। जैसे ही उसे पत्थर लगा, उसने गाय को छोड़ दिया और शावकों के साथ भाग निकली। 21 फरवरी को खुले जंगल में छोड़े गए थे चीते
ज्वाला और उसके शावकों को 21 फरवरी को खजूरी क्षेत्र के जंगल में छोड़ा गया था। एक महीने तक वे पार्क की सीमा में ही रहे। चीतों के बाहर निकलने पर क्षेत्र के चीता मित्र और उनकी टीम ने आसपास के लोगों को जागरूक किया था। चीते इंसानों से कितने फ्रेंडली होते हैं?
चीते इंसानों के लिए सक्रिय रूप से कोई खतरा नहीं होते, लेकिन वे फिर भी जंगली जानवर हैं, इसलिए उनके साथ संपर्क करने से बचना चाहिए। आमतौर पर चीते मनुष्यों पर हमला नहीं करते। वे अपनी प्रजाति के बाकी जानवरों के मुकाबले शांत स्वभाव के होते हैं। चीते कुशल शिकारियों के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन वे आमतौर पर छोटे जानवरों का शिकार करते हैं, न कि इंसानों का।