प्रकृति के पिता हैं ये पहाड़…:सर्दी-गर्मी और बारिश पर सीधा असर; छत्तीसगढ़ में 850 पहाड़, इनकी ऊंचाई कम, इसलिए ठंड भी कम

मौसम विज्ञानी डा. गायत्री वाणी कांचिभ के साथ ठाकुर राम यादव की रिपोर्ट ​​दिसंबर चल रहा है, लेकिन प्रदेश में अब तक कड़ाके की सर्दी का इंतजार है। राजधानी रायपुर में तो सर्दी ही नहीं है। पहाड़ों को प्रकृति का पिता कहा जाता है। ये सर्दी, गर्मी और बारिश सभी को प्रभावित करते हैं, पर 850 पहाड़ होने के बावजूद प्रदेश में इस तरह की स्थिति क्यों है। आज पर्वत दिवस पर जानते हैं वजह… दरअसल, छत्तीसगढ़ में बहुत से पहाड़ हैं, पर इनकी ऊंचाई कम है। इसलिए इन पहाड़ों का मौसम पर स्थानीय असर होता है। ये असर 10 से 20 किमी की रेंज में रहता है। प्रदेश में मैकल पर्वत श्रेणी के इर्द-गिर्द कवर्धा, मुंगेली और राजनांदगांव तथा इनसे लगे बेमेतरा के कुछ हिस्से रेन शैडो (वृष्टि छाया) क्षेत्र में आते हैं। यहां सामान्य से 10 से 20% तक कम बारिश हो रही है। रेन शैडो क्षेत्र पहाड़ों के नीचे का इलाका है। मानसून में दक्षिण-पश्चिम से नम हवा (बादल) आती है। ये पहाड़ों से टकराकर ऊपर उठ जाती है। इन्हें दूसरी ओर नीचे आने में समय लगता है। सरगुजा संभाग के मैनपाट वाले हिस्से में पहाड़ों के कारण दिन जितना तेजी से गर्म होता है, रात उतनी ही तेजी से ठंडी होती हैं। इसलिए मैनपाट में रात का तापमान माइनस तक पहुंच जाता है। यहां पर थंडर स्टार्म की भी स्थिति बनती है। यानी बादल आने पर थोड़ी बारिश होती है। फिर मौसम तेजी से साफ हो जाता है। वैसे छत्तीसगढ़ के पहाड़ पूरे प्रदेश को किसी भी मौसम में बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाते। ठंड में इसलिए सरगुजा संभाग अधिक ठंडा रहता है। यहां शीतलहर के दिनों की संख्या दूसरे क्षेत्रों से अधिक रहती है। मैदानी इलाका वाले रायपुर, दुर्ग में सामान्य या उससे कम ठंड रहती है। रायपुर में न्यूनतम पारा 5 डिग्री गिरकर 15.1 डिग्री पहुंचा रायपुर में सोमवार को न्यूनतम तापमान 20 डिग्री था। इसमें 5 डिग्री की गिरावट आ गई। मंगलवार को न्यूनतम तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। पेंड्रारोड में तापमान 15.4 से गिरकर 10.4 डिग्री तक पहुंच गया। मंगलवार को तापमान सामान्य 1.5 डिग्री कम है। अंबिकापुर, दुर्ग, राजनांदगांव में भी रात का तापमान 3 से 3 डिग्री तक गिरावट आई है। जलवायु परिवर्तन ने भी बीते कुछ सालों से मौसम के चक्र में बदलाव किया है। सर्दी में कमी की एक वजह यह भी है।

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