प्रशासन ने उद्योग के लिए सरकारी जमीन दी:महासमुंद में विरोध में उतरे ग्रामीण, चारागाह और श्मशान भूमि ट्रांसफर पर जताई आपत्ति

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में ग्राम पंचायत बिरकोनी की शासकीय भूमि को मनोरमा इंडस्ट्री को देने के विरोध में सैकड़ों ग्रामीणों ने तहसीलदार न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराई है। ग्रामीण चारागाह और श्मशान भूमि उद्योग को देने पर आक्रोशित हैं। इंडस्ट्री ने पहले ही 100 साल पुरानी चुहरी तालाब को कृषि भूमि बताकर खरीद लिया है। कंपनी ने इसके लिए शासन से उद्योग के नाम पर 58 लाख रुपए से अधिक की स्टांप ड्यूटी में छूट भी प्राप्त की है। निस्तारी तालाब की खरीद से ग्रामीण पहले से ही नाराज हैं। सरपंच चंदन चंद्राकर और ग्रामीणों का कहना है कि खसरा नंबर 2485 में चारागाह भूमि है और 2620 में श्मशान भूमि है। उन्होंने बताया कि बढ़ती आबादी के साथ मवेशियों के लिए चारागाह की जमीन आवश्यक है। दाह-संस्कार के लिए नहीं बचेगी जमीन तहसीलदार न्यायालय ने ग्राम पंचायत बिरकोनी के खसरा नंबर 2435, 2436, 2619, 2620, 2616, 2614 की कुल 3.48 हेक्टेयर भूमि को जिला व्यापार और उद्योग विभाग महासमुंद को हस्तांतरण करने के लिए दावा आपत्ति का इश्तहार जारी किया है। इसकी जानकारी मिलते ही सरपंच समेत सैकड़ों ग्रामीण सोमवार को तहसीलदार न्यायालय पहुंचे। ग्रामीणों ने कहा कि मृत्यु के बाद शव दफनाना और दाह-संस्कार मानवीय आवश्यकता है। अगर श्मशान की भूमि उद्योग को दे दी गई तो वे दाह-संस्कार कहां करेंगे? उनका आरोप है कि बिना पंचायत के प्रस्ताव के उद्योग को भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। भूमि हस्तांतरण न करने की मांग उन्होंने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर जिला व्यापार और उद्योग विभाग महासमुंद को भूमि हस्तांतरण न करने की मांग की है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। ग्राम पंचायत से एनओसी नहीं दिया गया सरपंच चंदन चंद्राकर ने बताया कि उद्योग विभाग को अभी तक ग्राम पंचायत से एनओसी नहीं दिया गया है। फिर भी बिना पंचायत प्रस्ताव के इश्तहार जारी किया गया है, जिसकी आपत्ति तहसील कार्यालय में दर्ज कराए है। इसके बारे में पहले से सूचना भी नहीं दिया गया था। उद्योग विभाग ने 11 जुलाई 2025 को राजस्व विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग और पर्यावरण विभाग की ओर से औद्योगिक क्षेत्र हस्तांतरण किए जाने का उल्लेख किया गया था। जिसकी सूचना पर ग्रामीणों ने विरोध जताया है। इन लोगों ने 8 करोड़ में खरीदा बता दें कि इंडस्ट्री ने खसरा नंबर 2613, 2615, 2617, 2623, 2626, 7.86 हेक्टेयर 19 एकड़ 65 डिसमिल जमीन को दिनबंधु, तुकाराम अशोक चंद्राकर से 8 करोड़ 80 लाख 51 हजार 911 रुपए में खरीद चुके हैं। इन में खसरा नंबर 2613, रकबा 14.24 हेक्टेयर भूमि पर 100 साल पुरानी सार्वजनिक निस्तारी का चुहरी तालाब है। जिसे इंडस्ट्री ने कृषि भूमि बताकर शासन से स्टांप ड्यूटी में 58 लाख 11 हजार 426 रुपए की छूट का लाभ लिया है। अब इस सार्वजनिक निस्तारी तालाब को पाटने की तैयारी हो रही है।

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