लोयोला उच्च विद्यालय चोयरा के हॉस्टल की तीन नाबालिग सबर छात्राएं बुधवार की शाम हॉस्टल से भाग गईं। तीनों छात्राएं काम कराने के डर से घर लौटना चाहती थीं। रात करीब 12 बजे वे स्कूल से आठ किमी दूर चारचक्का गांव पहुंचीं। गांव के आशुतोष सिंह के घर का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुलने पर तीनों नाबालिग छात्राएं बाहर खड़ी मिलीं। इसकी सूचना गांव के सुजीत दे को दी गई। सुजीत दे ने छात्राओं को घर में बैठाया, फिर कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत की मुखिया विलासी सिंह और थाना को जानकारी दी। मुखिया ने खबर सुनते ही चारचक्का गांव पहुंचकर छात्राओं से जानकारी ली। वहीं, रात करीब एक बजे के आसपास पुलिस पहुंची और तीनों छात्राओं को अपने साथ ले गई। तीनों छात्राएं लोयोला स्कूल चोयरा के हॉस्टल में रहकर पढ़ती हैं। इनमें एक सातवीं कक्षा में और दो पांचवीं कक्षा में हैं। छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल में देखरेख करने वाली महिला बहुत ज्यादा काम कराती है। उनकी कोई बात नहीं सुनी जाती। पहले भी घर जाने की बात कही थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। खाने में भी दिक्कत होती है। तीनों छात्राएं पटमदा प्रखंड की रहने वाली हैं और सबर जनजाति की हैं। चारचक्का गांव में देर रात तीनों को भोजन भी कराया गया। संयोग रहा रास्ते में कोई अनहोनी नहीं हुई। वहीं, रात 12 बजे तीन-तीन नाबालिग छात्राओं का हॉस्टल से आठ किमी दूर पहुंचना, स्कूल और हॉस्टल इंचार्ज की लापरवाही को दिखाता है। परिजन अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सुरक्षित रखते हुए हॉस्टल में एडमिशन कराते हैं, पर यहां कुछ और ही देखने को मिल रहा है। स्कूल के एक शिक्षक द्वारा बात करने का प्रयास किया गया तो प्रिंसिपल ने बात करने से शिक्षक को मना कर दिया। बाद में जब प्रिंसिपल निर्मल देवगम से संपर्क हुआ तो उन्होंने बताया कि सभी छात्राएं स्कूल में हैं। आधे घंटे के लिए नहीं दिखी थीं, फिर लौट आईं। प्रिंसिपल की बात छात्राओं के बयान से मेल नहीं खाती। छात्राओं ने साफ बताया कि वे शाम को हॉस्टल से निकली थीं और पैदल चलकर रात 12 बजे के आसपास चारचक्का गांव पहुंचीं। मालूम हो कि हॉस्टल इंचार्ज की लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता था।