प्रयागराज में प्लेटलेट्स चढ़ाते ही एक प्राइवेट हॉस्पिटल में डेंगू पेशेंट की मौत हो गई। पत्नी ने पुलिस को बताया कि स्वरूप रानी हॉस्पिटल के कर्मचारी पंकज यादव से मैंने 15 हजार रुपए में प्लेटलेट्स खरीदे थे। मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा- 3 यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने में दिक्कत नहीं हुई। उसके बाद पेशेंट का ब्लड प्रेशर लो हो गया। हमने मेदांता (लखनऊ) रेफर कर दिया। इसके बाद पंकज को परिवार के लोगों ने पकड़ भी लिया। लेकिन, शाहगंज पुलिस ने 2 घंटे की पूछताछ के बाद पंकज को छोड़ दिया। प्रयागराज के CMO तक ये मामला पहुंच गया है। सामने आया कि थैली पर जो रैपर लगा था, उसमें जिस ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स को इश्यू कराने का जिक्र था, वहां से यह इश्यू नहीं हुआ था। CMO प्रयागराज इस मामले को ब्लड मुहैया कराने वाले दलालों से जोड़कर देख रहे हैं। पहले पूरा मामला जानिए… डेंगू होने के बाद भर्ती हुए, फिर तबीयत बिगड़ती गई
पूजा गुप्ता जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर की रहने वाली हैं। इनके पति वैभव कुमार गुप्ता खाद की दुकान चलाते थे। पिछले महीने वैभव को डेंगू हो गया। जांच कराने पर पता चला कि प्लेटलेट्स काउंट 16 हजार हो गया है। इसके बाद उन्हें प्रयागराज के जागृति हास्पिटल में भर्ती करा दिया गया। यहां डॉ. अंकुर केसरवानी ने उनका इलाज शुरू किया। उन्होंने कहा कि मरीज के लिए 6 यूनिट प्लेटलेट्स की तुरंत जरूरत है। पूजा ने अपने एक रिश्तेदार से संपर्क किया और उनके जरिए पंकज यादव से मिलीं। पंकज ने कहा- वह कॉल्विन ब्लड बैंक से 15 हजार रुपए में 6 यूनिट प्लेटलेट लाकर दे देगा। 1 घंटे के अंदर उसने 6 यूनिट प्लेटलेट्स लाकर पूजा को भी दे दिए। पूजा ने उसे 15,500 रुपए दे दिए। प्लेटलेट चढ़ाते ही डॉक्टर ने कहा, कहीं और ले जाएं
पूजा गुप्ता ने बताया- जागृति हास्पिटल में ही प्लेटलेट्स चढ़ाया गया। 1 घंटे बाद ही पति वैभव की हालत गंभीर होने लगी। डॉ. केसरवानी ने मुझसे कहा कि आपके पति हालत गंभीर है। अगर कहीं और ले जाना चाहते हैं, तो ले जा सकते हैं। इसके बाद परिवार के लोग वैभव को 7 नवंबर को ही लखनऊ के मेदांता लेकर चले गए। इसके दूसरे ही दिन वैभव की मौत हो गई। ब्लड बैंक में उस सीरियल नंबर पर किसी और का नाम इसके बाद पूजा गुप्ता कॉल्विन ब्लड बैंक पहुंचीं। यह जानने के लिए आखिरकार जो प्लेटलेट्स उनके पति को चढ़ाया गया था, वह यहीं से गया था या नहीं? वहां स्टाफ ने रजिस्टर पर चेक करने के बाद बताया कि जिस सीरियल नंबर वाला (3698) प्लेटलेट्स उन्हें मिला था, उस पर किसी दूसरे मरीज का नाम दर्ज था। ये प्लेटलेट्स उनके बैंक से जारी नहीं हुए। फिर पूजा ने शाहगंज थाने में इसकी शिकायत की। जिस पंकज यादव से प्लेटलेट्स लिया था, परिवार वालों ने उसे भी पकड़ लिया। पंकज को परिवार वाले शाहगंज थाने ले गए। प्लेटलेट्स के मामले पर इलाज करने वाले डॉक्टर ने क्या-कुछ कहा, पढ़िए…. डॉ. अंकुर बोले- प्लेटलेट्स चढ़ाते समय सीरियस हो गया था मरीज दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान इलाज करने वाले डॉ. अंकुर केसरवानी ने बताया- मरीज का प्लेटलेट्स 16 हजार हो गया था। हमने AMA ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स लाने के लिए लिखा था। लेकिन परिवार के लोगों ने बताया कि उनके परिचय के लोग हैं। इसलिए प्लेटलेट्स अरेंज हो जाएगा। अब वह लोग किससे प्लेटलेट्स लेकर आए, यह नहीं पता। डॉक्टर ने कहा- तीन यूनिट प्लेटलेट तो मरीज को आराम से चढ़ गया, लेकिन जब चौथा यूनिट चढ़ने लगा तो BP लो होने लगा और पसीना आने लगा। तत्काल हम भी पहुंचे, इंजेक्शन दिया गया लेकिन आराम नहीं हुआ। मरीज डेंगू शॉक सिंड्रोम में चला गया। इसके बाद अल्ट्रासाउंड कराया गया, बीपी बढ़ाने का इंजेक्शन देने के लिए सेंट्रल लाइन डाली गई। पूरा प्रयास किया गया, लेकिन आराम नहीं मिला। इस पर परिवार को सलाह दी गई कि मरीज को लखनऊ में हायर सेंटर भी ले जा सकते हैं। मेदांता में दूसरे दिन मरीज की मौत हो गई। प्लेटलेट्स किस तरह का था, यह तो जांच का विषय है। इस पूरे मामले में शाहगंज थाने के इंस्पेक्टर अवध कुमार गौतम ने कहा- परिवार के लोग पंकज यादव नाम के एक व्यक्ति को लाए थे। उसने पूछताछ में बताया कि वह स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में काम करता है। मरीज का इलाज जागृति हॉस्पिटल में हुआ था, जो सिविल लाइन थाने में पड़ता है। इसलिए हमने उन लोगों को सिविल लाइन थाने भेज दिया था। प्लेटलेट्स कहां से लिया था, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। प्लेटलेट्स चढ़ाने के बाद मौत क्यों हुई? ये सवाल CMO डॉ. आशु पांडेय से पूछा गया। उन्होंने कहा- इन्हें प्रिजर्व करते वक्त कुछ गड़बड़ हुई या इंफेक्शन की वजह से हुआ? ये लैब में जांच के बाद ही सामने आ सकता है। इतना जरूर है कि कभी भी ब्लड या प्लेटलेट्स की जरूरत हो तो किसी दलाल या अनजान व्यक्ति से संपर्क न करें। सीधे हमारे सरकारी ब्लड बैंकों में जाएं और वहां से ही प्लेटलेट्स या ब्लड लें। इस मामले में परिवार को जांच के बाद एक्शन लेने के लिए कहा गया है। पुलिस ने कहा- मामला सिविल लाइन थाने शिफ्ट किया
इस पूरे मामले में शाहगंज थाने के इंस्पेक्टर अवध कुमार गौतम ने कहा- परिवार के लोग पंकज यादव नाम के एक व्यक्ति को लाए थे। उसने पूछताछ में बताया कि वह स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में काम करता है। मरीज का इलाज जागृति हॉस्पिटल में हुआ था, जोकि सिविल लाइन थाने में पड़ता है, इसलिए हमने उन लोगों को सिविल लाइन थाने के लिए भेज दिया था। प्लेटलेट्स कहां से लिया था, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। 2 साल पहले ऐसे गिरोह का हुआ था खुलासा
इसी तरह का मामला अक्टूबर, 2022 में सामने आया था। यहां एक प्राइवेट अस्पताल में डेंगू मरीज को फर्जी प्लेटलेट चढ़ा दिया गया था। इसके बाद मरीज की मौत हो गई थी। यह मामला हाई-लाइट हुआ तो पुलिस एक्शन मोड में दिखी। पुलिस ने प्लेटलेट्स के नाम पर इस तरह का धंधा करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 12 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसमें ब्लड बैंकों के फर्जी रैपर छपवाकर प्लेटलेट्स बेचने का मामला सामने आया था। 2 स्लाइड में प्लेटलेट्स को जानिए… ————————— ये खबर भी पढ़िए… 5000 रुपए में प्लेटलेट्स बेच रहा दलाल, पूछने पर बोला- मौसमी वाला जूस नहीं होगा, आप निकलवाते हुए देख लेना तारीख 27 नवंबर, सुबह 11 बजे। जगह प्रयागराज का TB सप्रू ब्लड बैंक। यहां जैसे ही भास्कर रिपोर्टर ब्लड बैंक पहुंचा । वैसे ही एक युवक पास आता है। नमस्कार करता है और पूछता है कैसे हो भइया। फिर हाल चाल पूछने लगा। जब उसे लगता है कि वह घूलमिल गया है। तब अचानक कहता है कि घर का कोई बीमार है क्या? प्लेटलेट्स चाहिए? इस पर रिपोर्टर ने ‘हां’ में जवाब दिया। फिर दलाल अपना फॉर्मूला समझाने लगता है। कहता है कि एक यूनिट प्लेटलेट्स 5 हजार रुपए में मिलेगा। मैं ब्लड बैंक में आपके साथ चलूंगा। ब्लड बैंक वालों के पूछने पर आप बताना कि यह मेरा दोस्त अरमान अली है। पता पूछेगा तो बता दीजिएगा प्रयागराज जिले के हंडिया, वार्ड नंबर-9 गनापुर। इसके बाद मैं या किसी और से ब्लड दिला दूंगा और प्लेटलेट्स आपको मिल जाएगा। 5 हजार रुपए पहले जमा करना होगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें