डीजीपी अनुराग गुप्ता ने राज्य के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि विभिन्न कांडों में माओवादी एवं इसके सहयोगी संगठनों के जो भी अभियुक्त फरार हैं, उनके विरुद्ध प्रभावी कुर्की-जब्ती की कार्रवाई की जाए। उग्रवाद या अपराध के माध्यम से अर्जित की गई संपत्तियों को चिह्नित कर वांछित कार्रवाई करें। नक्सल प्रभावित जिलों में माओवादियों द्वारा आगजनी या तोड़फोड़ से संबंधित दर्ज मामलों में यथाशीघ्र कार्रवाई करें। डीजीपी ने एक मई को राज्य के पुलिस अधीक्षकों के साथ नक्सल उन्मूलन संबधित मुद्दों पर समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक अपने जिले में पूर्व में घटित ऐसे सभी मामलों की समीक्षा करेंगे, जो माओवादी या आपराधिक गुटों द्वारा धमकी या लेवी मांगने से संबंधित हैं। यह भी जानकारी प्राप्त करेंगे कि इस प्रकार की सूचना पीड़ित द्वारा देने के मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई है या नहीं? इस दौरान आईजी व डीआईजी को भी विशेष निर्देश दिए गए। चिह्नित कार्यस्थल पर सीसीटीवी कैमरा लगवाएं : एसपी डीजीपी ने कहा कि सभी पुलिस अधीक्षक आसूचना तंत्र को मजबूत करने के लिए अपने-अपने जिले के सभी थाना प्रभारी को स्थानीय नेटवर्क, मुखबिरों और डिजिटल निगरानी का उपयोग कर आसूचना संकलन करेंगे। साथ ही साथ क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर चिह्नित कार्यस्थल पर सीसीटीवी कैमरा लगवाएं। नक्सलियों की सरेंडर पॉलिसी को प्रभावी बनाने के निर्देश डीजीपी ने निर्देश दिया कि नक्सलियों के मामले में प्राप्त आसूचना का त्वरित सत्यापन कर एसपी यथाशीघ्र कार्रवाई करें। फरार नक्सलियों की गिरफ्तारी को लेकर उनके विरुद्ध पुरस्कार के लिए यथाशीघ्र प्रस्ताव समर्पित करें। नक्सलियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान और सरेंडर पॉलिसी को और प्रभावी बनाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने हेतु सकारात्मक प्रयास करें।