न्यूजीलैंड के 26 वर्षीय फुटबॉलर सरप्रीत सिंह फीफा वर्ल्ड कप खेलने वाले भारतीय बनने की राह पर हैं। वह न्यूजीलैंड की उस टीम का हिस्सा हैं, जिसने 2026 में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई किया है। उनसे पहले, 2006 में फ्रांस की टीम से विकास राव धोरासू वर्ल्ड कप खेलने वाले भारतीय मूल के खिलाड़ी थे। सरप्रीत का जन्म ऑकलैंड में हुआ। उनके माता-पिता मूल रूप से जालंधर के हैं। उनका ऑकलैंड में किराना स्टोर था। सरप्रीत रात 2-3 बजे तक जागकर चेल्सी और मैनचेस्टर यूनाइटेड के मैच देखते। सात साल की उम्र में सरप्रीत की मां ने बेटे का दाखिला एक फुटबॉल क्लब में करा दिया। जब वे 10 साल के थे तो उन्होंने वेलिंगटन में न्यूजीलैंड को बहरीन के खिलाफ 1-0 से जीत और 2010 के वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई होते देखा। वह बताते हैं, ‘मैंने खिलाड़ियों के पोस्टर बनाए थे और उनके हस्ताक्षर भी लिए थे।’ सरप्रीत अंडर-17 ओशिनिया कप और अंडर-20 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड टीम का हिस्सा बन चुके थे। 2019 में जर्मन क्लब बायर्न म्यूनिख ने उन्हें साइन किया। वह जर्मन लीग बुंदेसलिगा में खेलने वाले भारतीय मूल के पहले खिलाड़ी बने। लेकिन उनका संघर्ष अभी बाकी था। यूरोपियन लीग में न्यूजीलैंड के ज्यादा खिलाड़ी नहीं थे। इसलिए वह अकेले रहा करते। ज्यादा बात नहीं कर पाते। वह महसूस करते कि अगर वह अच्छा नहीं खेलेंगे तो उन्हें सबसे पहले निकाला जाएगा। साल 2020 में उन्हें इंजरी हो गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह ट्रेनिंग करते रहे। उन्होंने बुंदेसलिगा की दूसरी डिविजन की टीम से खेला और अब पुर्तगाल की दूसरी डिविजन में यूनियाओ डी लीरिया के लिए खेलते हैं। लक्ष्य वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड को ग्रुप स्टेज से आगे ले जाना भले ही सरप्रीत क्लब फुटबॉल में अच्छा नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने अपने देश के लिए शानदार प्रदर्शन बनाए रखा। वह 2018 से कीवी टीम से जुड़े हैं। इंटरकांटिनेंटल कप में केन्या के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल किया और उसी टूर्नामेंट में भारत पर न्यूजीलैंड की 2-1 की जीत में दो असिस्ट किए। उनका लक्ष्य वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड को ग्रुप स्टेज से आगे ले जाना है।