शहर के फैशन एक्सपट्र्स के मुताबिक फास्ट फैशन के बढ़ते खतरे को देखते हुए लोग अब धीरे-धीरे स्लो फैशन की ओर रुख कर रहे हैं। पुराने कपड़ों को अपसाइकल करना, हैंडमेड कपड़ों को खरीदना और ऐसे ब्रांड को सपोर्ट करना जो उत्पादन में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने पर ध्यान देते हैं, आज की जरूरत बन गया है। पुन: उपयोगी सामग्री से बने बैग, जूतों और एक्सेसरीज ने भी फैशन में अपनी अलग पहचान बनाई है। फैशन डिजाइनर्स और ब्रांड भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। अब वे ऐसे कपड़े तैयार कर रहे हैं जो न केवल स्टाइलिश हैं, बल्कि टिकाऊ भी हैं। सस्टेनेबल फैशन का एक बड़ा हिस्सा पुराने कपड़ों को दोबारा इस्तेमाल करने पर आधारित है। लोग अब थ्रिफ्ट स्टोर्स से खरीदारी कर रहे हैं और अपने वार्डरोब को ट्रेंडी बनाए रखने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। यह ट्रेंड न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह दिखाता है कि फैशन और स्थिरता एक साथ चल सकते हैं। इस बदलाव के साथ उपभोक्ता और उद्योग, दोनों मिलकर एक बेहतर और हरा-भरा भविष्य बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। कलेक्शन में पुन: उपयोगी सामग्रियों का भी इस्तेमाल – एक फैशन डिजाइनर ने अपने ब्रांड के तहत प्राकृतिक सामग्री जैसे जैविक कपड़े, बांस फाइबर और कॉटन का उपयोग करना शुरू किया है। उनका उद्देश्य पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और फैशन में टिकाऊता को बढ़ावा देना है। वह अपने कलेक्शन में पुन: उपयोगी सामग्रियों का भी इस्तेमाल और पुराने कपड़ों को अपसाइकल कर नए डिजाइन बना रही हैं। सस्टेनेबल फैशन को किया जा रहा प्रमोट – एक फैशन इन्फ्लुएंसर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सस्टेनेबल फैशन को प्रमोट करना शुरू किया है। वह पुरानी चीजों को फिर से पहनने और अपसाइकल करने के तरीके दिखाती हैं। उनका मानना है कि फैशन को सस्टेनेबल तरीके से अपनाकर हम न केवल अपनी स्टाइल में सुधार कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी बचा सकते हैं। भास्कर न्यूज। लुधियाना आजकल सस्टेनेबल फैशन का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। लोग अब न केवल अपने स्टाइल को लेकर जागरूक हो रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देने लगे हैं। जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान जैसी समस्याओं को समझते हुए उपभोक्ता और ब्रांड, दोनों ही पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। सस्टेनेबल फैशन का मतलब केवल जैविक या पुन: उपयोगी सामग्रियों का इस्तेमाल नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए फैशन को अपनाने की कला है। इस ट्रेंड में प्राकृतिक फाइबर जैसे कॉटन, जूट, लिनन और बांस का कपड़ों में इस्तेमाल बढ़ा है। इनसे बने परिधान न केवल त्वचा के लिए आरामदायक हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं।