बंगाली नववर्ष की पूर्व संध्या पर चरक पूजा:कोंडागांव में 14 अप्रैल को होगा भव्य आयोजन; महीनेभर की तपस्या के बाद शिवभक्त करेंगे विशेष अनुष्ठान

कोंडागांव में बंगाली समाज के सबसे बड़े त्योहार चरक पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। कालीबाड़ी डी एन के कॉलोनी में 14 अप्रैल को यह विशेष पूजा आयोजित की जाएगी। चरक पूजा को नील पूजा भी कहा जाता है। यह चैत्र मास के अंतिम दिन मनाई जाती है। पश्चिम बोरगांव के शिवभक्तों का एक दल इस पूजा की तैयारी में जुटा है। इन भक्तों ने एक महीने का कठिन उपवास रखा है। वे भिक्षाटन करते हुए पूजा स्थल तक पहुंचेंगे। पूजा में कई पारंपरिक अनुष्ठान किए जाएंगे। शिवभक्त नंगे पैर और भगवा धोती में खजूर के पेड़ पर चढ़ेंगे। वे बिना सहारे के कटीले पत्तों पर नृत्य करेंगे। वे खजूर के कच्चे फल तोड़कर नीचे गिराएंगे। श्रद्धालु इन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। विशेष मंचन कार्यक्रम कालीबाड़ी प्रांगण में शिव और काली की वेशभूषा में विशेष मंचन होगा। इस अवसर पर कालीबाड़ी अध्यक्ष प्रह्लाद शील समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे। रामकृष्ण धर, हितेन घोष, अनिमेष विश्वास और मधुसूदन दास जैसे प्रमुख समाज सेवी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। चरक पूजा बंगाली समाज में नवीनीकरण, क्षमा और कृषि समृद्धि का प्रतीक है। यह पूजा भगवान शिव और माता काली को समर्पित है। इस पूजा के बाद बंगाली नववर्ष का शुभारंभ होता है।

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