राज्य बनने के ढाई दशक बाद भी शहर में बच्चों के लिए एक भी ऐसी जगह नहीं है जहां वे गर्मी या बड़ी छुट्टियों में अपना मनोरंजन कर सके। नगर निगम ने 15 साल पहले शहर में नया अप्पू घर बनाने का फैसला लिया था। जो फाइलों से ही बाहर नहीं निकल पाया। रायपुर विकास प्राधिकरण ने नया एम्यूजमेंट पार्क तैयार किया। लेकिन बसने से पहले ही यह उजड़ गया। आज तक इसे सुचारू रूप से शुरू नहीं किया जा सका है। इसी जगह पर वॉटर पार्क भी खोला गया, जो कुछ महीने चलने के बाद ही बंद हो गया। इस बार भी गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के साथ ही बड़ों को भी शहर में लगने वाले फन फेयरों में ही जाना पड़ेगा।
इससे शहर के लोगों में खासी नाराजगी है। उनका कहना है कि निगम में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकार बनीं। लेकिन कोई भी बच्चों के मनोरंजन के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। मैदानों में लगने वाले मेलों में बच्चों को घुमाना पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। मेले वाले एक झूले पर राइड के लिए 100 रुपए तक वसूल करते हैं। बच्चों की जिद और मजबूरी की वजह से पैरेंट्स को वहां जाना ही पड़ता है। इतना ही नहीं जो लोग बच्चों को घुमाने शहर से बाहर नहीं जा पाते हैं उन्हें छुट्टियां घरों में ही बितानी पड़ती है। क्योंकि गार्डनों की स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वे अपने बच्चों को वहां रोजाना ले जा सके। बूढ़ातालाब गार्डन भी कबाड़
बच्चों के साथ ही शहर के लोगों के मनोरंजन के लिए रायपुर स्मार्ट सिटी की ओर से करोड़ों रुपए खर्च कर बूढ़ातालाब तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया। तालाब घुमाने के लिए मिनी शिप की व्यवस्था की गई। इसके लिए टिकट भी लिया जाता रहा। लेकिन कुछ महीने बाद ही सब बंद कर दिया गया। अब सौंदर्यीकरण भी कबाड़ में तब्दील हो गया है। बच्चों के लिए लगाए गए झूले टूट गए हैं। इसी तरह का हाल तेलीबांधा तालाब का भी हो गया है। यहां के तालाब के पानी से बदबू आने लगी है। शाम को घूमने जाने वाले लोग वहां अक्सर इससे परेशान रहते हैं। नवा रायपुर नहीं जा रहे लोग
बच्चों के मनोरंजन के लिए नवा रायपुर में सेंट्रल पार्क बनाया गया है। इसके मेंटेनेंस पर हर साल करीब 60 से 70 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इस गार्डन में भी बच्चों के मनोरंजन के लिए कुछ भी नहीं है। इतना ही नहीं गार्डन के बड़े एरिया से हरियाली गायब हो गई है। लोगों का कहना है कि शहर से इतनी दूर जाने के बाद भी वहां घूमने के लिए कोई खास जगह नहीं है। इसी तरह का हाल वीआईपी रोड में स्थित ऊर्जा पार्क का भी हो गई है। यहां भी देखरेख के अभाव में गार्डन उजाड़ है। बच्चों को अंतरिक्ष की सैर कराने वाले इक्यूपमेंट खराब हैं। नवा रायपुर नहीं जा रहे लोग
बच्चों के मनोरंजन के लिए नवा रायपुर में सेंट्रल पार्क बनाया गया है। इसके मेंटेनेंस पर हर साल करीब 60 से 70 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इस गार्डन में भी बच्चों के मनोरंजन के लिए कुछ भी नहीं है। इतना ही नहीं गार्डन के बड़े एरिया से हरियाली गायब हो गई है। लोगों का कहना है कि शहर से इतनी दूर जाने के बाद भी वहां घूमने के लिए कोई खास जगह नहीं है। इसी तरह का हाल वीआईपी रोड में स्थित ऊर्जा पार्क का भी हो गई है। यहां भी देखरेख के अभाव में गार्डन उजाड़ है। बच्चों को अंतरिक्ष की सैर कराने वाले इक्यूपमेंट खराब हैं। नई योजना बना रहे
बच्चों के लिए कई प्लान हैं। उस पर काम भी कर रहे हैं। उनकी पढ़ाई की आदत छूट गई है, इसलिए बाल समाज लाइब्रेरी में निशुल्क क्लास देंगे। अप्पू घर, एम्यूजमेंट पार्क समेत बाकी मनोरंजन स्थलों के लिए जगह, उपयोगिता और संचालन की पुख्ता नीति बनने के बाद इस पर आगे बढ़ेंगे।
मीनल चौबे, महापौर रायपुर