बलरामपुर में तेज बारिश का अलर्ट:प्रदेश में 5 दिनों में सिर्फ 30.1MM औसत बारिश; 8 जिलों में बिजली गिरने की आशंका

छत्तीसगढ़ में पिछले 48 घंटे में सभी 5 संभागों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है। सिर्फ सरगुजा संभाग के एक-दो स्थानों में ही भारी बारिश हुई है। शनिवार को सबसे ज्यादा बारिश सूरजपुर के ओड़गी में हुई है। वहीं अगले 5 दिन उत्तरी छत्तीसगढ़ में ये ट्रेंड जारी रहेगा। प्रदेश के सेंट्रल पार्ट में तेज बारिश की संभावना कम ही है। आज, रविवार के लिए माैसम विभाग ने बलरामपुर में भारी बारिश और बिजली गिरने का यलो अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा 8 जिलों में सिर्फ बिजली गिरने का अलर्ट है। अन्य जिलों में मौसम सामान्य रहेगा। पिछले 5 दिनों में सिर्फ 30.1 MM औसत बारिश 28 जुलाई तक 603 MM औसत बारिश प्रदेश में हुई थी। 29 जुलाई को यही आंकड़ा 611.5 MM और 30 जुलाई को 623 MM, 31 जुलाई को 627.1MM तक पहुंचा और एक अगस्त को 629.2 MM बारिश ही हुई। 2 अगस्त को सिर्फ बारिश का आंकड़ा 633 MM तक ही पहुंच पाया। यानी 28 और 29 जुलाई के बीच 8.5 MM, 29 और 30 जुलाई के बीच 11.5 MM, 30 से 31 जुलाई के बीच 4.1MM, 31 से 01 अगस्त के बीच 2MM बारिश हुई। वहीं 1 अगस्त से 2 अगस्त के बीच सिर्फ 4MM बारिश हुई। यानी 28 जुलाई से 02 अगस्त के बीच सिर्फ 30.1 MM औसत बारिश ही दर्ज की गई। जुलाई में 459 मिलीमीटर बारिश जुलाई महीने की बात करें तो कुल 463 मिमी बारिश हुई। आखिरी 6 दिनों यानी 25 जुलाई से 29 जुलाई तक 159 मिमी बारिश हुई है। पिछले 10 सालों में सिर्फ 2 बार ही जुलाई में बारिश का आंकड़ा 400MM पार हुआ है। 2023 में जुलाई माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 566.8MM पानी बरसा था। इससे पहले 2016 में 463.3MM पानी गिरा था। इस लिहाज से 10 साल में दूसरी बार ही प्रदेश में इतनी बारिश रिकॉर्ड की गई है। लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ

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