बलौदाबाजार जिले की सैकड़ों ग्राम पंचायतों को पिछले 10 महीनों से 15वें वित्त आयोग की राशि नहीं मिली है। इस वित्तीय अभाव के कारण ग्रामीण स्तर के सभी विकास कार्य बंद हैं। इसी बीच, हाईकोर्ट ने मुक्ति धाम (श्मशान) जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुधारने के लिए 15 दिन का कड़ा आदेश दिया है, जिससे सरपंचों के सामने गंभीर विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 15 दिनों के अंदर व्यवस्था के निर्देश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद सभी जिलों को निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत, प्रत्येक ग्राम पंचायत को 15 दिनों के अंदर मुक्ति धाम में सफाई, रोशनी, पानी, शौचालय और बाउंड्री वॉल जैसी मूलभूत सुविधाएं दुरुस्त करनी होंगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सम्मानजनक अंतिम संस्कार प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है और इस व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कोताही को गंभीर लापरवाही माना जाएगा। करोड़ों के काम अटके हालांकि, बलौदाबाजार जिले के पांचों ब्लॉक – पलारी, बलौदाबाजार, भाटापारा, सिमगा और कसडोल – की ग्राम पंचायतें इन निर्देशों पर अमल करने के लिए वित्तीय संसाधनों से पूरी तरह खाली हैं। आबादी के आधार पर दो किस्तों में जारी होने वाली 15वें वित्त आयोग की राशि अब तक जारी नहीं हुई है। इस वित्तीय गतिरोध के कारण जिले में अनुमानित 50 करोड़ रुपए के विकास कार्य अटके पड़े हैं। इसका सीधा असर ग्रामीण जीवन पर पड़ रहा है, जहां गांव की सफाई व्यवस्था, सामुदायिक कार्यक्रम, शासन के विभिन्न कार्यक्रमों में ग्रामीणों को ले जाने और निर्माण व मरम्मत के सभी कार्य रुक गए हैं। तत्काल वित्तीय राशि जारी करने की मांग इसके अलावा पंचायतों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर और पियून जैसे कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट गहरा गया है। जिले के कई सरपंचों ने इस गंभीर स्थिति की ओर ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि बिना बजट के वे हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करने में भी असमर्थ हैं। निधियों के अभाव में न तो मुक्ति धामों की दशा सुधारी जा सकती है और न ही ग्रामीणों की अन्य जरूरी मांगों पर कार्रवाई हो सकती है। सरपंचों ने शासन से मांग की है कि तत्काल वित्तीय राशि जारी की जाए ताकि अदालत के निर्देशों का पालन और ग्रामीण विकास का काम सुनिश्चित हो सके।


