दंतेवाड़ा से लौटकर सुमय कर क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर की संस्था ‘सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन’ बस्तर से खेल प्रतिभा निकालने के काम में जुट गई है। इसके लिए दंतेवाड़ा के 50 गांवों में खेल मैदान बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 15 तैयार हो चुके हैं।
यह संस्था 24 मार्च 2025 से मान देशी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके तहत मैदान कप का आयोजन कर रही है। इसमें 10 हजार बच्चे भाग लेंगे, जिनमें 40% बालिकाएं होंगी। बच्चे फुटबाल, क्रिकेट, कबड्डी और दौड़ में जोर दिखाएंगे। एक मैदान तैयार करने में करीब 3 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य नक्सल इलाके के बच्चों को खेलों के जरिए मंच देना, आत्मबल बढ़ाना व समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। इन मैदानों का निर्माण वहां किया जा रहा है, जहां कभी बंजर जमीन और खामोशी हुआ करती थी। गांव-गांव में नए मैदान तैयार हो रहे हैं। ज्यादातर बच्चे पहली बार किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहे हैं। कलेक्टर कुनाल दूदावत और स्थानीय ग्रामीण इसे सफल बनाने के लिए उत्साह से काम कर रहे हैं। इस पहल में 40 फीसदी से अधिक बालिकाओं की भागीदारी होगी जो महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम होगा। 15 गांवों में मैदान तैयार कर लिए गए हैं। ऐसे 50 गांवों में बनाएंगे अपराध कम हाेने की उम्मीद मैदान कप का लक्ष्य न केवल बच्चों को खेल से जोड़ना है, बल्कि खेलों के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपराध में गिरावट लाना है। इस मैदान में 9 गेम होंगे
एथलेटिक्स, कबड्डी, 5 साइड फुटबाल, वॉलीबॉल, लंबी कूद, स्लैक लाइन, शॉर्ट फुट और डिस्कस थ्रो, खो-खो, जंगल जिम। बेटी बोली-मैं कप्तान बनूंगी: 10 वर्षीय वेदिका यादव की आंखों में आत्मविश्वास चमक रहा है। वह कहती है- मुझे विराट जैसे खेलना है। वो भी शानदार कप्तान रहे। मैं भी अपनी टीम की कप्तानी करूंगी। सचिन से सीखने की ललक: 11 साल के सौरभ यादव सचिन की तरह ही क्रिकेटर बनना चाहते हैं। वो कहते हैं सचिन अगर मेरे सामने आएंगे तो मैं यही पूछूंगा कि आप इतने अच्छे क्रिकेटर हैं तो रिटायर क्यों हुए। मैं उनसे सीखना चाहता हूं। सौरभ ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सचिन की पेंटिंग भी बनाई है। दंतेवाड़ा के बच्चे मैदान से वंचित रहे, इसलिए चुना: सारा तेंदुलकर मैदान कप की शुरुआत हमने दंतेवाड़ा से इसलिए की है, क्योंकि यह जगह अपनी जरूरतों और संभावनाओं का बेहतरीन उदाहरण है। यहां के बच्चे बिना किसी खेल मैदान के बड़े हुए हैं, ऐसे माहौल से वंचित जिनसे आत्मविश्वास, टीम वर्क और बड़े सपने जगते हैं। साथ ही जिला प्रशासन से पूरा सहयोग मिला, तो हमने इस पहल को मैदान कप तक बढ़ा दिया। हमारा मानना है कि हर बच्चे की जिंदगी खेल, स्वास्थ्य और शिक्षा के जरिए बदली जा सकती है और जब भी हमें कोई प्रतिभा नजर आएगी, हम उसे संवारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
(सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा इस फाउंडेशन की डायरेक्टर हैं।)