तत्कालीन मध्यप्रदेश में जुलाई 1967 में कांग्रेस की सरकार को गिराकर गोविंद नारायण सिंह के नेतृत्व में संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी थी। गोविंद नारायण सिंह इस कोशिश में लगातार लगे रहे थे कि द्वारका प्रसाद मिश्र की कार्यप्रणाली से रुष्ट कांग्रेस के कुछ और वरिष्ठ नेता उनके साथ आ जाएं। उन्होंने उस समय के बिलासपुर जिले से चार बार विधायक बने बिसाहू दास महंत को भी अपने साथ लेने के लिए बहुत यत्न किया था। किंतु बिसाहू दास महंत संयुक्त विधायक दल में नहीं गए। महंत ने दिया बांध बनाने का सुझाव
सन् 1967 में तत्कालीन सरगुजा जिले की बैकुंठपुर सीट से कांग्रेस की टिकिट पर जीतकर आए रामचंद्र सिंहदेव पहली बार विधायक बने थे। किंतु वे संयुक्त विधायक दल के साथ हो गए थे। रामचंद्र सिंहदेव को राजनीति का अनुभव नहीं था। इस कारण वे बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं से मिलते रहते थे। रामचंद्र सिंहदेव इसी क्रम में बिसाहू दास महंत से मिलकर प्रदेश के विकास पर चर्चा करते थे। एक मौके पर बिसाहू दास ने सिंहदेव को बताया कि हसदेव नदी सरगुजा के कोरिया क्षेत्र से निकलकर बिलासपुर जिले से होकर रायगढ़ जिले में महानदी में मिल जाती है। हसदेव पर एक बराज बनाने का काम चल रहा है लेकिन बराज के ऊपर अगर एक बड़ा बांध बनाया जाय तो उससे पूरे क्षेत्र को सिंचाई के साथ-साथ दूसरे लाभ भी मिलेंगे। सिंहदेव ने बनवाया प्रस्ताव
यह संयोग की बात है कि फरवरी 1969 में रामचंद्र सिंहदेव संयुक्त विधायक दल की सरकार में सिंचाई मंत्री बन गए। बिसाहू दास महंत ने तत्काल रामचंद्र सिंहदेव से मिलकर हसदेव पर बांध बनाने के लिए पहल करने की बात कही। रामचंद्र सिंहदेव ने उसी समय चीफ इंजीनियर को बुलाया और इस विषय पर चर्चा की। चीफ इंजीनियर ने हसदेव नदी पर बांध बनाने पर तकनीकी सहमति बताई। रामचंद्र सिंहदेव ने चीफ इंजीनियर से कहा कि वे इस पर पूरा प्रस्ताव तैयार करें। आपको मात्र विंध्य प्रदेश दिखता है…
हसदेव नदी पर बांध बनाने का विभागीय प्रस्ताव तैयार हो जाने पर रामचंद्र सिंहदेव ने वह प्रस्ताव महंत जी को बताया और उनसे कहा कि वे इस पर मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह से चर्चा करेंगे। सिंहदेव और बिसाहू दास महंत इस प्रस्ताव पर स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह से मिलने गए। चर्चा के दौरान गोविंद नारायण सिंह ने महंत जी से कहा- ‘आपको सिर्फ छत्तीसगढ़ दिखता है।‘ मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर तुरंत जवाब देते हुए महंत जी ने कहा- ‘आपको मात्र विंध्य प्रदेश दिखता है‘। बहरहाल, प्रस्ताव की उपयुक्तता से सहमत होते हुए मुख्यमंत्री ने सिंहदेव से कहा कि-ंसिंह साहब आप औपचारिक प्रस्ताव बनाकर लाइये‘। बांध बनाने का प्रस्ताव संविद् शासन में मंजूर हो गया। लेकिन मार्च 1969 में संयुक्त विधायक दल की सरकार गिर गई। बांध का निर्माण बाद में कांग्रेस शासनकाल में हुआ। रामचंद्र सिंहदेव का कथन है कि- ‘बिसाहू दास महंत के भगीरथ-प्रयास से बांगो बांध का अवतरण हुआ।‘ इस बांध का नाम बाद में मिनीमाता हसदेव बांगो परियोजना हुआ और वह आज छत्तीसगढ़ के विकास की एक विशिष्ट पहचान है।