बांध पंचायत के पो​खरिया में अब तक नहीं बनी पक्की सड़क

प्रकाश मिश्रा | गिरिडीह पीरटांड़ प्रखंड की बांध पंचायत का पोखरिया गांव। जहां आने-जाने के लिए अब तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है। जबकि गांव से करीब एक किलोमीटर दूर होकर पक्की सड़क गुजरी है, लेकिन उस पक्की सड़क तक जाने के लिए जो संपर्क पथ नहीं है। हालांकि वह वर्ष 2008-09 में मनरेगा से यहां सड़क निर्मित हुई थी, जो इतने दिनों के अंदर हुए बारिश में बह गई है। ऐसे में डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को परेशानी होती है। वहीं अगर गांव मंे लोग बीमार पड़ जाए, तो एंबुलेंस भी गांव में ठीक से पहुंच नहीं पाती है। जबकि इसी गांव के चार टोला पाटाघुटू, बारुघुटू, लोआटांडी और हेसाबेड़ा के लोग बारिश के दिनों में दो नदियों के बीच फंस कर रह जाते हैं। पोखरिया गांव में करीब 130 आदिवासी परिवार रहते हैं, जिसमें पोखरिया में 45, पाटाघुटू में 14, बारुघुटू में 12, लोआटांडी में 30 और हेसाबेड़ा में 25 परिवारों के घर हैं। गांव के रहने वाले छोटेलाल किस्कू ने बताया कि आसपास के सभी गांवों में पहुंचने के लिए पक्की सड़क बन गई है, लेकिन पोखरिया के लिए सड़क नहीं बन सकी है। पोखरिया के लोगों को बारिश के दिनों में गांव से निकलने में परेशानी होती है। पाटाघुटू, बारुघुटू, लोआटांडी और हेसाबेड़ा में रहने वाले लोग बारिश में चिरकी नदी और सीता नाला के बीच फंस जाते हैं। इन गांवों के दोनों ओर से नदी बहती है, ऐसे में दोनों नदी में पुल नहीं बना हुआ है। जब बारिश थमती है, तो नदी में पानी कम के बाद ही लोग गांव से निकल कर पोखरिया आते हैं, या फिर जंगल से रास्ते से मधुबन मोड़ पहुंच जाते हैं। कनेक्टिविटी- सड़क मार्ग- बाइक, कार , ऑटो। प्रसिद्ध स्थल-गांव में बना हुआ पंचायत भवन। साक्षरता दर – 70 % जनसंख्या – 8000 जिला मुख्यालय से दूरी 12 किलोमीटर पोखरिया गांव के रहने वाले बाबूचंद किस्कु, श्यामलाल किस्कू, पिंटू किस्कु, चंदुलाल किस्कु, एतवारी किस्कु और जितेन हेम्ब्रम ने बताया कि पंचायत के स्तर से गांव में लोगों को सरकारी योजनाओं को लाभ मिलता है, लेकिन उस लाभ से अधिक गांव के डेढ़ किलोमीटर सड़क और सीतानाला के साथ चिरकी नदी में पुल की जरुरत है। तभी गांव के लोगों की समस्या दूर हो सकेगी। मनरेगा से बनी सड़क पूरी तरह से बहकर बर्बाद हो गई है।

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