सियासत में समय का बदलाव कुछ भी करवा सकता है। जिनके एक इशारे पर बड़े-बड़े अफसर कतार में हो जाते हैं। समय बदलने पर वे ही कन्नी काटकर निकल जाते हैं। हाल ही में हुए बड़े आयोजन में एयरपोर्ट पर देश के मुखिया की अगवानी करने गए कुछ बड़े नेताओं को समय बदलने का एहसास हुआ। एयरपोर्ट पर बडे़ नेताओं की गाड़ियों को रोक दिया, इसलिए पैदल चलकर अगवानी के लिए जाना पड़ा, जबकि बड़े अफसर गाड़ी से आए। यह देख एक नेताजी ने नाराजगी जताई। इस पर दूसरे नेताजी ने उन्हें मुस्कराने की सलाह दी, क्योंकि देश के मुखिया की अगवानी का मामला था। किसने दिया नेता प्रतिपक्ष की छवि चमकाने का सुझाव विपक्षी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र गजब का है। प्रदेश के पूर्व मुखिया के समर्थक और विरोधी अंदर ही अंदर सक्रिय हैं। इन दिनों पूर्व मुखिया लगातार सियासी मुलाकातें कर रहे हैं। ऐसी ही मुलाकातों में कुछ नेताओं को पावर बैलेंस की थ्योरी भी समझा दी। पूर्व मुखिया ने नेता प्रतिपक्ष की छवि को निखारने पर जोर देने का सुझाव दिया है। इस बात को इस तरह समझाया गया कि अभी संगठन मुखिया ही छाए हुए हैं, नेता प्रतिपक्ष उस रूप में उभर नहीं रहे हैं। अब सुझाव आया है तो इसका असर का इंतजार है लेकिन इस बात के सियासी मायने गहरे हैं। मंत्री क्यों पड़े दुविधा में? सरकार के एक मंत्री इन दिनों बड़ी दुविधा में हैं। मंत्री की दुविधा का कारण संवैधानिक संस्था से जुड़ा एक पद है। इस पद पर भारी जोर आजमाइश चल रही है। इस पद के लिए मंत्री के सियासी विरोधी के नजदीकी प्रबल दावेदार हैं। यह बात मंत्री को भी पता है। मंत्रीजी ने सब जगह कह भी दिया है, लेकिन केंद्र से लेकर राजधानी तक में सत्ताधारी पार्ट के कई नेताओं ने भी सिफारिश की है। मंत्री को डर है कि सियासी विरोधी के नजदीकी कामयाब रहे तो इलाके में उनकी तौहीन हो जाएगी। इससे उनके पावरलेस होने का मैसेज जाएगा। बस इसी दुविधा का हल नहीं मिल रहा। बाबा ने मुखिया और बड़े अफसर के कान में क्या कहा? बाबा के नाम से से मशहूर नेताजी पिछले दिनों निवेश वाले सम्मेलन में शामिल हुए, लेकिन उनके हाव-भाव वही थे। प्रदेश के मुखिया और चर्चित बड़े अफसर से मंच पर ही कुछ बात की। बड़े अफसर के बारे में बाबा पहले भी कुछ तल्ख बातें कह चुके थे। बाबा ने मुखिया और बड़े अफसर को कुछ ऐसा कहा है जो राजकाज से संबंधित था। अब सियासी हलकों में उसी मुद्दे की बात चल रही है। मुखिया और बड़े अफसर के कान में कही गई बात को कई सियासतदां कुछ दिन में सुलझाने का दावा कर रहे हैं। मंत्री के स्टाफ मेंबर पर हमला,एफआईआर के लिए करना पड़ा इंतजार पिछले दिनों एक मंत्री के स्टाफ मेंबर पर राजधानी में कुछ बदमाशों ने हमला कर दिया। हमला लूट के इरादे से होना बताया जा रहा है। मंत्री के स्टाफ मेंबर थाने गए, लेकिन उनका मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। तर्क दिया कि निवेश वाले सम्मेलन में सब बिजी हैं। मंत्री से भी कहलवाया, लेकिन तत्काल बात नहीं बनी। जब निवेश वाला सम्मेलन खत्म हो गया, उसके बाद ही केस दर्ज किया। मंत्री के स्टाफ पर हमले के चौथे दिन केस दर्ज हुआ। बेबाक केंद्रीय मंत्री के सामने खुला राज बड़े सरकारी आयोजनों में कुछ ऐसी खामियां रह जाती हैं, जो अखरे बिना नहीं रहतीं। निवेश वाले सम्मेलन में बेबाक केंद्रीय मंत्री के सामने ही खामियों का राज खुल गया। जिस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री का सेशन था, उसके मुखिया को ही औपचारिक रूप से नहीं बुलाया,न वक्ता में नाम था। यह अलग बात है कि महकमे के मुखिया केंद्रीय मंत्री की अगवानी से लेकर सेशन तक लेकर आने तक में साथ थे। आपसी बातचीत में यह राज खुला कि महकमे के मुखिया को बुलाया ही नहीं था, लेकिन केंद्रीय मंत्री ने उन्हें वहीं रहने का आग्रह किया। यह अंदरूनी बात बाहर तो आनी ही थी। सुनी-सुनाई में पिछले सप्ताह भी थे कई किस्से, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें अधिकारी महिला अफसर की धमकियों से परेशान:उपचुनाव में जीत के बाद मंत्री बनने के लिए लॉबिंग; किस शिकायत से परेशान हैं नेताजी