बालू की किल्लत से आम लोगों के अपना घर बनाने का सपना टूट रहा है। बिल्डिंग मटेरियल की बढ़तीं कीमतें व मजदूरी में वृद्धि के कारण घर व फ्लैट्स के दाम में एक साल के अंदर 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। बालू नहीं मिलने से रांची में 1500 करोड़ के 150 प्रोजेक्ट फंस गए हैं। काम काफी धीमी गति से चल रहे हैं। ग्राहकों को तय समय पर फ्लैट्स उपलब्ध कराने में बिल्डर असमर्थ हैं। बिल्डरों की मजबूरी यह भी है कि ग्राहकों को तय समय पर घर देना होता है। इसके लिए अनाप-शनाप दाम में बालू की खरीदारी कर उन्हें घाटा सह कर भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा करना पड़ रहा है। शहर के तमाम बिल्डरों को अब नई सरकार से आस है कि वह झारखंड स्थित सभी बालू घाटों की नीलामी शीघ्र कराए, ताकि आम लोगों को सस्ता घर मिल सके और उनके नुकसान की भरपाई हो। क्या कहते हैं शहर के बिल्डर… बालू तीन गुणा महंगा पड़ रहा, कई प्रोजेक्ट होल्ड पर हैं बालू की किल्ल्त और मटेरियल महंगा होने से 15% तक महंगे हुए घर विजय अग्रवाल ने बताया कि रांची व आसपास क्षेत्र में लगभग 150 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इनकी अनुमानित लागत 1000 से 1500 करोड़ रुपए है। यदि सामग्री सुलभ नहीं हुई तो बिल्डरों के साथ ग्राहक और सरकार को भी नुकसान होगा। क्योंकि प्रोजेक्ट लेट होंगे। इससे लोन लेकर घर खरीदने वालों को घाटा होगा। क्योंकि उन्हें बैंक का किस्त चुकाने के साथ किराया भी भरना पड़ेगा। प्रोजेक्ट के लेट होने पर सरकार को टैक्स की राशि देर से मिलेगी। बिल्डिंग मटेरियल की कीमतें एक साल में तेजी से बढ़ीं वर्तमान कीमत एक साल पहले एक हाइवा बालू 50 से 55 हजार रु. 20 से 22 हजार रु. सीमेंट 350-360 रु. बोरी 290 से 300 रु. बोरी एक ट्रक गिट्टी ब्लैक 7500 रु. 4000 रु. छड़ 50 से 55 हजार प्रति टन 50 से 55 हजार प्रति टन एक साल में लगभग तीन गुना हो गए दाम