बालोद में ईसाई बने बुजुर्ग के अंतिम-संस्कार पर विवाद:ग्रामीणों ने मुक्तिधाम में नहीं दी जगह; प्रशासन के दखल के बाद निजी जमीन पर दफनाया

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक धर्मांतरित बुजुर्ग के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद खड़ा हो गया। करीब चार घंटे तक चले तनाव और प्रशासन के दखल के बाद परिजन मृतक को उसकी निजी जमीन पर दफनाने के लिए तैयार हुए। मामला गुंडरदेही थाना क्षेत्र के ग्राम परसदा का है। दरअसल, परसदा निवासी लच्छन साहू (85) ने कुछ साल पहले हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। मौत के बाद मसीह समाज के लोगों ने उनकी इच्छा के अनुसार, गांव के मुक्तिधाम की जगह पर दफनाने की तैयारी करते हुए गड्ढा खोदा। इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीणों और हिंदू संगठनों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। जिससे गांव में तनाव की स्थिति बन गई। सूचना पर गुंडरदेही टीआई नवीन बोरकर टीम के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों और परिजनों के बीच मध्यस्थता की। लंबी चर्चा के बाद परिजन मृतक को उसकी निजी जमीन पर दफनाने के लिए राजी हो गए। जिसके बाद स्थिति सामान्य हुई। हर गांव की अपनी परंपरा होती है- विश्व हिंदू परिषद विश्व हिंदू परिषद के नेता बलराम गुप्ता ने ग्रामीणों के विरोध का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि, गांव में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हमेशा हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार होती है। इसलिए धर्म परिवर्तन कर चुके व्यक्ति का दफन संस्कार मुक्तिधाम में संभव नहीं है। उन्होंने गुंडरदेही क्षेत्र में कथित अवैध धर्मांतरण गतिविधियों पर भी नाराजगी जताई। गुप्ता ने कहा कि, यदि किसी हिंदू को बहला-फुसलाकर या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराया जाता पाया गया तो इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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