छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में खाद की किल्लत से त्रस्त किसानों का सब्र अब टूटने लगा है। जिले के आमाडुला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के सामने किसानों ने विरोध का रास्ता अख्तियार करते हुए समिति के गेट में ताला जड़ दिया और धरने पर बैठ गए। इन किसानों की मांग है कि, उन्हें समय पर और पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराया जाए। जिससे वे अपनी फसलों की जरूरतों को पूरा कर सकें। आमाडुला समिति में तीन पंचायतों के लगभग 900 किसानों का पंजीयन है। लेकिन इसके बावजूद किसानों को उनकी जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल पा रहा है। लंबे समय से लगातार प्रयासों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होने पर किसानों ने समिति परिसर को बंद कर विरोध जताना शुरू कर दिया है। खाद स्टॉक कम, मांग अधिक फिलहाल समिति में केवल 400 बोरी यूरिया, 324 बोरी सुपर फास्फेट और 191 बोरी पोटाश ही उपलब्ध है, जो कि पंजीकृत किसानों की संख्या को देखते हुए काफी कम है। इसी कारण किसान आंदोलन कर अपनी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। विधानसभा में भी गूंजा मामला खाद संकट का मुद्दा केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहा बल्कि विधानसभा तक पहुंच चुका है। मानसून सत्र के पहले दिन ही विपक्ष ने इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव लाया। लेकिन कृषि मंत्री के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इससे नाराज विपक्ष ने वेल में आकर जोरदार हंगामा किया। बाजार से दोगुने दाम पर खरीदने मजबूर किसान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन में आरोप लगाया कि, पूरे राज्य में खाद की भारी किल्लत है और किसान इससे बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश में खाद संकट गहरा चुका है और सरकार इसे लेकर नाकाम साबित हुई है। किसान मजबूरी में खुले बाजार से दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को विवश हैं।