बिहार की तरह पूरे देश में वोटर लिस्ट जांची जाएंगी:चुनाव आयोग की तैयारी पूरी; सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई की सुनवाई के बाद फैसला होगा

चुनाव आयोग (EC) बिहार के बाद अब पूरे देश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने जा रहा है। इसके तहत वोटर लिस्ट की गहनता से जांच की जाती है और अपडेट किया जाता है। अगस्त से इसकी शुरुआत हो सकती है। EC ने सभी राज्यों में अपनी चुनाव मशीनरी एक्टिव कर दी है। आयोग का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई को बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को जारी रखने की परमिशन पर आया। कोर्ट ने इसे संवैधानिक बताया था। हालांकि कई विपक्षी दल और लोग इस रिवीजन के खिलाफ हैं। SC में चुनौती भी दी है। दावा है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के चलते योग्य नागरिक अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। चुनाव आयोग के अधिकारी के मुताबिक, इलेक्शन अथॉरिटी 28 जुलाई के बाद SIR पर अंतिम फैसला लेगी क्योंकि बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई होनी है। वहीं, कुछ राज्यों के चीफ इलेक्शन ऑफिसर ने अपने राज्यों में पिछली SIR के बाद की पब्लिश वोटर लिस्ट जारी करना शुरू भी कर दिया है। दिल्ली CEO वेबसाइट की 2008 की वोटर लिस्ट उपलब्ध बिहार की वोटर लिस्ट में नेपाल-बांग्लादेश के लोग बिहार में वोटर लिस्ट वैरिफिकेशन का काम जारी है। इस दौरान चुनाव आयोग (EC) के अधिकारियों का दावा है कि बिहार में बड़ी तादाद में विदेशी हैं। EC अफसरों ने न्यूज एजेंसी को बताया, ‘हमने मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए घर-घर जाकर दौरे किए। इस दौरान हमें नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोग बड़ी संख्या में मिले हैं।’ EC अफसरों के मुताबिक ‘1 अगस्त के बाद ऐसे लोगों की जांच होगी। 30 सितंबर को पब्लिश होने वाली आखिरी मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे।’ वोटर लिस्ट वैरिफिकेशन का काम 24 जून को शुरू हुआ था और 25 जुलाई, 2025 तक गणना फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख है। मतदाता गणना फॉर्म जमा करने का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। पूरी खबर पढ़ें… ………………… चुनाव आयोग और बिहार चुनाव से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रहेगा: चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र मानें सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के रिवीजन जारी रखने की अनुमति दी थी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया। सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि बिहार में SIR के दौरान आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए। पूरी खबर पढ़ें…

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