बीजापुर में सुरक्षा बलों पर मधुमक्खियों का हमला:एक जवान घायल, साथी जवानों निकाला डंक, हथियारों की टकराहट मधुमक्खियों को उत्तेजित कर देती है

बीजापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों को अब बारूदी सुरंगों और घात लगाकर किए जाने वाले हमलों के अलावा एक नए प्राकृतिक खतरे का सामना भी करना पड़ रहा है। जंगलों में मधुमक्खियों के झुंड अभियानों में बाधा बन रहे हैं। हाल ही में एक एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवानों पर मधुमक्खियों के हमले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें घायल जवान के शरीर से डंक निकालते हुए साथी जवान दिखाई दे रहे हैं। जंगल में गश्त के दौरान मधुमक्खियों का खतरा दरअसल, गश्ती दल अक्सर गहरे जंगलों में आगे बढ़ते समय अनजाने में मधुमक्खियों के बड़े छत्तों के करीब पहुंच जाते हैं। थोड़ा-सा कंपन, वायरलेस सेट की आवाज या हथियारों की हल्की टकराहट भी मधुमक्खियों को उत्तेजित कर देती है। जिसके बाद पूरा झुंड जवानों पर हमला कर देता है। हमलों से ऑपरेशन में बढ़ रही बाधाएं इस तरह के हमलों से न केवल जवान घायल हो रहे हैं, बल्कि ऑपरेशन भी बाधित हो रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया, “जंगल के कुछ हिस्सों में मधुमक्खियों के इतने बड़े छत्ते हैं कि कई बार जवानों को घंटों तक वहीं छिपकर रुकना पड़ता है। दौड़ना या फायरिंग करना स्थिति को और खतरनाक बना सकता है।” प्राकृतिक खतरे के दुरुपयोग की आशंका कुछ संवेदनशील इलाकों में यह आशंका भी जताई जा रही है कि नक्सली इस प्राकृतिक खतरे का फायदा उठा रहे हैं। जानकारी मिली है कि नक्सली उन पगडंडियों और पहाड़ी मोर्चों के पास पत्थर मारकर मधुमक्खियों के झुंड को उकसाते हैं, जहां से सुरक्षा बल अक्सर गुजरते हैं। मधुमक्खियों के डंक से जवानों की सेहत पर प्रभाव इसका उद्देश्य जवानों की गति को धीमा करना और फिर घात लगाकर हमला करना हो सकता है। मधुमक्खियों के डंक से होने वाली सूजन, एलर्जी और आंखों की सूजन के कारण कई बार जवानों को ऑपरेशन बीच में ही छोड़ना पड़ता है। ऐसे कई मामलों में जवानों को प्राथमिक उपचार के बाद कैंप वापस लौटना पड़ा है।

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