बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर हुई मुठभेड़:ढेर हुआ हार्डकोर नक्सली महेश दक्षिण बस्तर डिवीजन का आईईडी एक्सपर्ट था

बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर गुरुवार की सुबह हुई मुठभेड़ में मारे गए तीनों नक्सलियों की शिनाख्त हो गई है। इसमें 18 लाख के 3 नक्सली ढेर हुए हैं। इसमें पीपीसीएम प्लाटून नंबर 30 के डिप्टी कमांडर 8 लाख का इनामी कोरसा महेश के साथ पश्चिम बस्तर एसीएम माड़वी नवीन उर्फ कोसा और एसीएम जोनागुड़ा अवलम भीमा ढेर हुए हैं। दोनों एसीएम पर 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित है। कोरसा महेश दक्षिण बस्तर डिवीजन व पीएलजीए बटालियन नंबर 1 का आईईडी एक्सपर्ट था। मौके से जवानों ने 2 बीजीएल लॉन्चर, 1 12 बोर राइफल सहित अन्य विस्फोटक, नक्सल साहित्य व दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की है। हार्डकोर नक्सली कोरसा महेश पूर्व में पीएलजीए बटालियन नंबर 1 का सक्रिय सदस्य था। वह आईईडी एक्सपर्ट था, जो बीजापुर-सुकमा जिले की सरहदी इलाकों में आतंक का पर्याय था। वह कई बड़ी वारदातों में शामिल रहा। इसमें 2023 में जगरगुंडा थाना क्षेत्र के बेदरे कैंप के पास सीआरपीएफ के उपनिरीक्षक सुधाकर रेड्‌डी की हत्या, 2024 में सिलगेर-टेकलगुड़ेम के बीच तिमापुरम के पास सीआरपीएफ के ट्रक को आईईडी विस्फोट कर उड़ाने, जगरगुंडा के साप्ताहिक बाजार में 2 जवानों पर जानलेवा हमला कर हथियार लूटने और पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के गोरगुंडा-पोलमपल्ली के पास सुरक्षा बलों को बड़ा नुकसान पहुंचाने आईईडी प्लांट करने में शामिल रहा। नक्सली इलाकों में खुले नए पुलिस कैंपों में ड्रोन से होती है निगरानी 2010 में दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने 76 सुरक्षाकर्मियों के अब तक के सबसे घातक नरसंहार के बाद सुकमा और बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में खुले सभी पुलिस कैंपों में सरकार ने ड्रोन कैमरे उपलब्ध कराए हैं। सर्चिंग व एरिया डॉमिनेशन पर निकलने से पहले जवान कैंप के 5 किमी के रेडियस पर आसमान से निगरानी करते हैं। इसके बाद जवान ऑपरेशन पर निकलते हैं। ड्रोन कैमरे से हाई रेजोल्यूशन तस्वीरों के साथ सुरक्षाबलों को रूट मैप भी मिल जाता है। पुलिस अफसरों की मानें तो नक्सल प्रभावित इलाकों में एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाना बड़ी चुनौती है, क्योंकि जंगल के अंदर नक्सलियों का पूरा नियंत्रण है। यही कारण है कि यूएवी का उपयोग नक्सलियों की उपस्थिति और उनकी संख्या की जानकारी लेने किया जाता रहा है। मुठभेड़ में दो घंटे तक रूक-रूककर होती रही गोलीबारी सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि नक्सल विरोधी सर्च अभियान के तहत 8 जनवरी को सुकमा डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा 203, 204, 206 208 व सीआरपीएफ की 241वीं, 131वीं और सेकंड बटालियन की संयुक्त पार्टी पालीगुड़ा-गुंडराजगुड़ेम क्षेत्र के लिए रवाना हुई थी। अभियान के दौरान गुरुवार को मुठभेड़ हुई, जहां दो घंटों तक रुक-रुककर गोलीबारी होती रही। नक्सलियों के ठिकानों तक पहुंचने ड्रोन कैमरों की रही अहम भूमिका नक्सल मोर्चे पर 2024 सुरक्षाबलों के लिए सबसे सफल रहा। नक्सलवाद के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा नुकसान नक्सली संगठन को हुआ है। इसके पीछे सरकार की इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों की बदली रणनीति है। इसके तहत नक्सलियों के सबसे महफूज माने जाने वाले ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया। एक साल में नक्सलियों को मारने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली है। इसमें ड्रोन कैमरों की बड़ी भूमिका रही है। आसमान से भी नक्सलियों पर नजर रखी जा रही है। इसी का परिणाम है कि आज बस्तर में नक्सलियों के लिए ऐसा कोई इलाका नहीं बचा है जहां वे अपने आपको सुरक्षित मानते हैं। इस मुठभेड़ में भी ड्रोन की अहम भूमिका रही। सुरक्षाबलों ने ड्रोन से नक्सलियों को मार गिराया। घने जंगल और पहाड़ों से घिरे इलाके में पनाह लिए नक्सलियों की लोकेशन सबसे पहले ड्रोन से ली। इसमें नक्सलियों की वास्तविक संख्या और उनकी पोजिशन की सटीक लोकेशन बलों को मिली। इसके बाद नक्सलियों के ठिकानों को घेरा। नेशनल टेक्निकल रिसर्च टीम दूर से ऑपरेशन पर नजर रख रही थे और सुरक्षाबलों को मार्गदर्शन कर रहे थे।

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