बैंक कर्मियों ने की 4.31 करोड़ की धोखाधड़ी:EOW ने 10 साल पुराने केस में 13 लोगों पर की FIR; फर्म के फर्जी पते पर दिया था लोन

इंदौर में बैंक कर्मियों और फर्म द्वारा 4.31 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इओडब्ल्यू ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी हैं। बैंक की ओर से शिकायत की गई थी कि 10 फर्म को कारोबार के लिए 3.48 करोड़ रुपए का लोन अलग-अलग पतों के फर्जी दस्तावेज के आधार पर दिया गया था। दस साल पुराने मामले में इओडब्ल्यू ने 12 दिसंबर को केस दर्ज किया है, जिसका खुलासा बुधवार को हुआ। बैंक ऑफ बड़ौदा के असिस्टेंट जनरल मैनेजर शैलेष कुमार पारख ने इस मामले में शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया कि जिन लोगों को लोन दिया गया, उन्होंने जिस उद्देश्य से लोन लिया, उसकी जगह दूसरे काम किए। लोन का यह पैसा भी बैंक को नहीं लौटाया। जो ब्याज सहित बढ़कर 4.31 करोड़ हो गया इसलिए बैंक की ओर से 4.31 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत की गई थी, इओडब्ल्यू ने सभी फर्म से पूछताछ की। इओडब्ल्यू ने बताया कि सभी के बयानों के मुताबिक सितंबर 2015 से दिसंबर 2015 यानी चार माह में 5 लोन और फिर 2017 में कुल 8 लोन लिए। इओडब्ल्यू के मुताबिक जब बैंक की ओर से लोन दिया गया तो फर्म के दस्तावेज भी चैक नहीं किए गए और पते के भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी की गई। इस संबंध में तत्कालीन बैंक मैनेजर मुकेश पंड्या (अब मृत) ने भी गलत रिपोर्ट तैयार की थी। इसके चलते नाकोड़ा भैरव गारमेंट्स, माई चॉइस ड्रेसेस, महावीर रेडीमेड गारमेंट, रचना फूड्स, मधुर इंडस्ट्रीज, चैतन्य इंटर प्राइजेज, अरिहंत ट्रेडर्स, श्री राधे फूड्स, डीआर इंटर प्राइजेसज, भावना एपेरल्स को लोन दिया गया था। इओडब्ल्यू ने पकड़ी ये गड़बड़ी 1. नई फर्म बनाकर पते का भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। 2. लोन का पेमेंट अकाउंट में न करते हुए नियम विरुद्ध नगद में करना दिखाया। 3. फर्म की बैलेंस शीट और ऑडिट रिपोर्ट भी फर्जी तरीके से तैयार की गई। 4. एफआईआर में इओडब्ल्यू ने सीए तेजस सुतारिया को भी फर्जी सीए बताया। 3 बैंककर्मियों सहित 10 पर धोखाधड़ी का केस
बैंक कर्मी स्वप्निल पुरोहित, शिरीष सातारकर, रूचका कैलोत्रा सहित फर्म के संचालक प्रकाश चंद्र सैनी, रचना सैनी, पारुल जैन, अमित कुमार दुबे, रीनू जैन, रीचपाल सैनी, रजनीकांत, हेमेंद्र सिंह गहलोत, रविशंकर अहिरवार, तेजेश सुतारिया सहित अन्य पर धारा 420, 467, 468, 471, 120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया हैं। आरोपियों ने 28 जून 2014 से 31 दिसंबर 2017 के बीच पैसों का लेनदेन किया था। आरोपियों ने ऐसे की हेरफेर, ऐसे समझे 1. तत्कालीन बैंक मैनेजर मुकेश पंड्या तथा प्रकाश चन्द्र सैनी पिता रीचपाल सैनी संचालक मे. रचना फूडस एवं प्रकाश इंडस्ट्रीज द्वारा षडयंत्रपूर्वक त्रिवेणी इंटरप्राइजेस के प्रोपराइटर कौशलेन्द्र शर्मा के अकाउंट से प्रकाश इंडस्ट्रीज प्रोपराइटर प्रकाशचन्द्र सैनी के अकाउंट में धोखाधड़ी से 7.99 लाख ट्रांसफर किए। 2. त्रिवेणी इंटर प्राइजेज के कौशलेन्द्र शर्मा के अकाउंट से मैनेजर मुकेश पंड्या ने 1.64 लाख मे.मधुर इंडस्ट्रीज की संचालक रचना सैनी के अकाउंट में ट्रांसफर किए। 3. साक्षी सीए नरेश जैन के बयान में मेसर्स मधुर इंडस्ट्रीज की प्रोप्राइटर रचना सैनी ने फर्म की ऑडिट रिपोर्ट गलत तरीके से प्रस्तुत की। उनके द्वारा 2014-15 की बैलेंस शीट पर फर्म की कैपिटल 44 लाख 26 हजार 860 रुपए दर्शायी है। उन्होंने फर्म की कैपिटल बढ़ाकर 50 लाख 67 हजार 319 रुपए बताए। इसी प्रकार वर्ष 2014-15 की बैलेंस शीट पर फर्म पर देनदारी 30 लाख 58 हजार 78 रुपए दिखाई गयी हैं। इतना ही नहीं फर्म की देनदारी घटाकर 8 लाख 54 हजार 790 रुपए बताई गई हैं।

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